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व्हाइट हाउस
जोसेफ़ आर. बाइडेन जूनियर, अमेरिकी राष्ट्रपति
अगस्त 16, 2021
संबोधन

ईस्ट रूम
4:02 अपराह्न ईडीटी

राष्ट्रपति:  नमस्कार। मैं आज अफ़ग़ानिस्तान में जारी घटनाक्रम के बारे में बात करना चाहता हूं: गत सप्ताह की घटनाओं और तेज़ी से बदलते घटनाक्रम से निपटने के लिए हमारे द्वारा उठाए जा रहे क़दमों के बारे में।

मेरी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम और मैं अफ़ग़ानिस्तान ज़मीनी स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और उन योजनाओं को तेज़ी से लागू कर रहे हैं, जिन्हें हमने हर संभावित परिस्थिति के लिए तैयार रखा था, जिसमें मौजूदा तेज़ बिखराव की स्थिति भी शामिल है।

हमारे द्वारा उठाए जा रहे क़दमों के बारे में मैं एक पल में विस्तार से बताऊंगा, पहले मैं सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि हम इस स्थिति तक कैसे पहुंचे और अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के हित क्या हैं।

हम लगभग 20 साल पहले स्पष्ट लक्ष्यों के साथ अफ़ग़ानिस्तान गए थे: 11 सितंबर 2001 को हम पर हमला करने वालों को ख़त्म करने, और ये सुनिश्चित करने कि अल क़ायदा अफ़ग़ानिस्तान को हम पर दोबारा हमले के लिए एक अड्डे के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सके।

हमने वो काम किया। हमने अफ़ग़ानिस्तान में अल कायदा को बिल्कुल तबाह कर दिया। हमने ओसामा बिन लादेन की तलाश कभी नहीं छोड़ी और हमने उसे ख़त्म किया। ये सब एक दशक पहले हुआ।

अफ़ग़ानिस्तान में हमारा मिशन कभी भी राष्ट्र निर्माण का नहीं होना चाहिए था। ये कभी भी एकीकृत और केंद्रीकृत लोकतंत्र की स्थापना का नहीं होना चाहिए था।

अफ़ग़ानिस्तान में हमारा एकमात्र महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित आज भी वही है जो हमेशा से रहा है: अमेरिकी मातृभूमि पर आतंकवादी हमले को रोकना।

मैं कई वर्षों से दलील देता रहा हूं कि हमारा मिशन केवल आतंकवाद निरोधक उपायों पर केंद्रित होना चाहिए — नकि उग्रवाद के मुक़ाबले या राष्ट्र निर्माण पर। इसलिए जब 2009 में मैं उपराष्ट्रपति था तब मैंने सैनिकों की तैनाती बढ़ाने का विरोध किया था।

और इसीलिए, राष्ट्रपति के रूप में, मैं इस बात पर अडिग हूं कि हम उन ख़तरों पर ध्यान केंद्रित करें जिनका हम आज 2021 में सामना कर रहे हैं — नकि बीते समय के ख़तरों पर।

आज, आतंकवादी ख़तरा अफ़ग़ानिस्तान से आगे बढ़ चुका है: सोमालिया में अल शबाब, अरब प्रायद्वीप में अल क़ायदा, सीरिया में अल-नुसरा; आइसिस सीरिया और इराक़ में खिलाफ़त स्थापित करने का प्रयास कर रहा है और अफ्रीका और एशिया के कई देशों में अपने सहयोगियों को खड़ा कर रहा है। हमें इन ख़तरों पर ध्यान देने और इनके खिलाफ़ अपने संसाधन लगाने की ज़रूरत है।

हम ऐसे कई देशों में आतंकवादी समूहों के खिलाफ़ प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियान चलाते हैं जहां हमारी स्थाई सैन्य उपस्थिति नहीं है।

यदि आवश्यक हुआ तो हम अफ़ग़ानिस्तान में भी ऐसा ही करेंगे। हमने उभरते ही आतंकवाद का मुक़ाबला करने की क्षमता विकसित कर ली है जिसके कारण हम इस क्षेत्र से अमेरिका पर बने किसी भी प्रत्यक्ष ख़तरे पर मज़बूती से नज़रें टिकाए रखने और ज़रूरत पड़ने पर त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।

जब मैंने कार्यभार संभाला, तो मुझे एक समझौता विरासत में मिला, जो राष्ट्रपति ट्रंप ने तालिबान से बातचीत के ज़रिए किया था। उनके समझौते के तहत, अमेरिकी सेना को 1 मई 2021 तक अफ़ग़ानिस्तान से निकलना था — यानि मेरे पद संभालने के कोई तीन महीने बाद।

पहले ही ट्रंप प्रशासन के दौरान उस देश में अमेरिकी सेना की उपस्थिति लगभग 15,500 अमेरिकी सैनिकों से घटकर 2,500 रह गई थी, और तालिबान 2001 के बाद से सैन्य रूप से सबसे मज़बूत स्थिति में था।

आपके राष्ट्रपति के रूप में मुझे दो विकल्पों में से एक चुनना था, या तो उस समझौते का पालन करना या गर्मियों के लड़ाई के मौसम के बीच वापस तालिबान से लड़ने की तैयारी करना।

1 मई के बाद कोई युद्धविराम नहीं होता। 1 मई के बाद हमारे बलों की सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं था। 1 मई के बाद अमेरिकियों के हताहत हुए बिना स्थिरता क़ायम रखना संभव नहीं था।

वास्तविक स्थिति यही थी कि या तो हम अपने सैनिकों की वापसी के समझौते को कार्यान्वित करते या फिर संघर्ष को बढ़ाते और हज़ारों अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों को वापस लड़ाई में उतारकर संघर्ष को तीसरे दशक में घसीटते।

मैं अपने फ़ैसले पर दृढ़ता से क़ायम हूं। 20 वर्षों के बाद, मैंने अपने अनुभवों से सीखा है कि अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का कोई अच्छा समय कभी नहीं था।

इसीलिए हम अभी तक वहां मौजूद थे। हमें जोखिमों का पूरा अंदाजा था। हमने हर आकस्मिकता के लिए योजनाएं बना रखी थी।

लेकिन मैंने हमेशा अमेरिकी लोगों से वादा किया है कि मैं आपके समक्ष स्पष्टवादी रहूंगा। ये सच है: यह घटनाक्रम हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक तेज़ी से सामने आया।

 

तो आख़िर हुआ क्या? अफ़ग़ानिस्तान के राजनीतिक नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए। अफ़ग़ान सेना पस्त हो गई, कई बार तो लड़ने की कोशिश किए बिना ही।

एक तरह से, पिछले सप्ताह के घटनाक्रम ने इस बात की पुष्टि ही की है कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी समाप्त करना एक सही निर्णय था।

अमेरिकी सैनिक ऐसे युद्ध में नहीं लड़ सकते हैं और न ही उन्हें ऐसे युद्ध में लड़ना और मरना चाहिए जिसे अफ़ग़ान सेनाएं अपने लिए लड़ने को तैयार नहीं हैं। हमने एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक ख़र्च किए। हमने लगभग 300,000 सैन्य बल वाली अफ़ग़ान सेना को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया — असाधरण रूप से अच्छी तरह सुसज्जित — जो हमारे कई नैटो सहयोगी देशों की सेनाओं के मुक़ाबले आकार में बड़ी सेना है।

हमने उन्हें वो सारे उपकरण दिए जिनकी उन्हें आवश्यकता हो सकती है। हमने उनके वेतन का भुगतान किया, उनकी वायुसेना के रखरखाव के लिए धन दिए — जोकि तालिबान के पास नहीं है। तालिबान के पास वायुसेना नहीं है। हमने उन्हें क़रीबी हवाई समर्थन दिया।

हमने उन्हें अपना भविष्य स्वयं तय करने का हर मौक़ा दिया। जो चीज़ हम उन्हें प्रदान नहीं कर सके, वह थी अपने भविष्य के लिए लड़ने की इच्छाशक्ति।

कुछ बहुत ही बहादुर और सक्षम अफ़ग़ान विशेष बल इकाइयां और सैनिक मौजूद हैं, लेकिन अगर अफ़ग़ानिस्तान अब तालिबान के प्रभावी प्रतिरोध में असमर्थ है, तो कोई संभावना नहीं है कि 1 साल — 1 और साल, 5 और साल, या 20 और साल तक वहां अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी से कोई फ़र्क़ पड़ता।

और अब वो बात जिसमें मेरा दृढ़ विश्वास है: अमेरिकी सैनिकों को लड़ाई में कूदने का आदेश देना गलत है जबकि अफ़ग़ानिस्तान की अपनी सेना ऐसा नहीं कर रही। यदि अफ़ग़ानिस्तान के राजनीतिक नेता अपने लोगों की भलाई के लिए साथ आने में असमर्थ रहे, ज़रूरत पड़ने पर अपने देश के भविष्य के लिए बातचीत करने में असमर्थ रहे, तो वे ऐसा तब भी नहीं करते, जब अमेरिकी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में रुककर उनके लिए लड़ने का खामियाज़ा भुगत रहे होते।

और हमारे असल सामरिक प्रतिस्पर्धियों — चीन और रूस — को अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान को स्थिर करने में अनिश्चित काल के लिए अरबों डॉलर के संसाधनों को झोंकते रहने और वहां ध्यान देते रहने से बेहतर कुछ और नहीं भाएगा।

जब मैंने जून में व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ग़नी और अध्यक्ष अब्दुल्ला की मेज़बानी की और जुलाई में जब मैंने ग़नी से फोन पर बात की, तो हमारे बीच बहुत स्पष्ट बातचीत हुई। हमने इस बारे में बात की कि अमेरिकी सेना के जाने के बाद अफ़ग़ानिस्तान को अपना गृहयुद्ध लड़ने और शासन में भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए कैसे तैयार होना चाहिए ताकि सरकार अफ़ग़ान लोगों के लिए काम कर सके। हमने अफ़ग़ान नेताओं की राजनीतिक एकजुटता की आवश्यकता पर विस्तार से बात की।

लेकिन वे इनमें से कुछ भी करने में विफल रहे।

मैंने उनसे कूटनीति में शामिल होने, तालिबान के साथ राजनीतिक समाधान की कोशिश करने का भी आग्रह किया। इस सलाह को सिरे से नकार दिया गया। श्री ग़नी ने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ान सेनाएं लड़ेंगी, लेकिन जाहिर तौर पर वह गलत थे।

इसलिए मैं उन लोगों से फिर पूछता हूं, जो तर्क देते हैं कि हमें वहां रहना चाहिए: आप मुझसे अमेरिका की बेटियों और बेटों की और कितनी पीढ़ियों को अफ़ग़ानों से लड़ने — अफ़ग़ानिस्तान के गृहयुद्ध में भिजवाना चाहेंगे जब अफ़ग़ान सेना ख़ुद ऐसा नहीं करती? और कितनी ज़िंदगियां — अमेरिकी ज़िंदगियां — गंवाई जाए, क्या ऐसा करने की कोई वजह है? आर्लिंग्टन राष्ट्रीय कब्रिस्तान में कब्रों की और कितनी अंतहीन पंक्तियां बने?

मेरा उत्तर स्पष्ट है: मैं उन गलतियों को नहीं दोहराऊंगा जो हमने अतीत में की हैं — एक ऐसे संघर्ष में अनिश्चित काल तक रहने और लड़ने की गलती जोकि अमेरिका के राष्ट्रीय हित में नहीं है, दूसरे देश के गृहयुद्ध में गहरे उतरने की गलती, अमेरिकी सेना की अंतहीन सैन्य तैनाती के ज़रिए एक देश के पुनर्निर्माण के प्रयास की गलती।

ये वो गलतियां हैं जिन्हें हम दोहराते नहीं रह सकते, क्योंकि दुनिया में हमारे कई अत्यंत महत्वपूर्ण हित हैं जिन्हें हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।

मैं यह भी स्वीकार करना चाहूंगा कि हममें से कई लोगों के लिए यह बेहद दर्दनाक है। अफ़ग़ानिस्तान में जो दृश्य हम देख रहे हैं, वो अत्यंत पीड़ादायक हैं, विशेष रूप से हमारे पूर्व सैनिकों, हमारे राजनयिकों, मानवीय सहायताकर्मियों के लिए, जो अफ़ग़ान लोगों के समर्थन के वास्ते वहां ज़मीन पर मौजूद रहे हैं।

उन लोगों के लिए जिन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में अपने प्रियजनों को खोया है और उन अमेरिकियों के लिए जिन्होंने उस देश में लड़ाई और सेवा की है — अफ़ग़ानिस्तान में रहकर हमारे देश की सेवा की है — यह एक बेहद व्यक्तिगत विषय है।

यह मेरे लिए भी ऐसा ही है। मैंने इन मुद्दों पर किसी की भी तुलना में कम समय तक काम नहीं किया है। मैं इस युद्ध के दौरान पूरे अफ़ग़ानिस्तान में गया हूं — जब युद्ध चल रहा था — काबुल से कंधार और कुनार घाटी तक।

मैंने चार अलग-अलग मौक़ों पर वहां की यात्रा की है। मैं लोगों से मिला। मैंने नेताओं से बात की है। मैंने अपने सैनिकों के साथ समय बिताया। और मुझे पहले ही समझ में आ गया था कि अफ़ग़ानिस्तान में क्या संभव है और क्या नहीं।

तो, अब हम जो संभव है उस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

हम अफ़ग़ान लोगों का समर्थन करना जारी रखेंगे। हम अपनी कूटनीति, अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और अपनी मानवीय सहायता के साथ नेतृत्व करेंगे।

हम हिंसा और अस्थिरता को रोकने के लिए क्षेत्रीय कूटनीति और संबंधों पर ज़ोर देना जारी रखेंगे।

हम अफ़ग़ान लोगों — महिलाओं और लड़कियों — के मौलिक अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना जारी रखेंगे, जैसे कि हम पूरी दुनिया में उठाते हैं।

मैं स्पष्ट करता रहा हूं कि मानवाधिकार हमारी विदेश नीति के केंद्र में होना चाहिए, न कि परिधि पर। लेकिन ये अंतहीन सैन्य तैनातियों के माध्यम से नहीं होगा; यह हमारी कूटनीति से, हमारे आर्थिक साधनों के ज़रिए और दुनिया को हमसे जुड़ने के लिए एकजुट करने से होगा।

अब, मैं अफ़ग़ानिस्तान में वर्तमान मिशन की रूपरेखा के बारे में बताना चाहूंगा। मुझे 6,000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती को अधिकृत करने के लिए कहा गया था — और मैंने किया — अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका और सहयोगी देशों के असैन्यकर्मियों को बाहर निकालने में मदद के लिए, और हमारे अफ़ग़ान सहयोगियों और जोखिम में पड़े अन्य अफ़ग़ानों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए।

हमारे सैनिक हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करने तथा असैन्य और सैन्य दोनों उड़ानों का निरंतर संचालन सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। हम हवाई यातायात नियंत्रण का काम अपने हाथों में ले रहे हैं।

हमने सुरक्षित रूप से अपना दूतावास बंद कर दिया है और अपने राजनयिकों को हटा लिया है। अब हवाई अड्डे पर भी हमारी पूरी राजनयिक उपस्थिति है।

आने वाले दिनों में, हमारा उन हज़ारों अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालने का इरादा है जो अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं।

हम असैन्यकर्मियों के — हमारे सहयोगी देशों के असैन्यकर्मियों की सुरक्षित निकासी में भी सहयोग करना जारी रखेंगे, जो अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में सेवारत हैं।

ऑपरेशन अलायज़ रिफ़्यूज़, जिसकी मैंने जुलाई में घोषणा की थी, पहले ही ऐसे 2,000 अफ़ग़ानों और उनके परिवारों को अमेरिका स्थानांतरित कर चुका है जोकि विशेष आप्रवासन वीज़ा (एसआईवी) के पात्र हैं।

आने वाले दिनों में, अमेरिकी सेना एसआईवी के पात्र अधिकाधिक अफ़ग़ानों एवं उनके परिवारों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकालने के लिए सहायता प्रदान करेगी।

हम जोखिम में पड़े अन्य अफ़ग़ानों को भी शामिल करने के लिए शरणार्थी सुविधा का विस्तार कर रहे हैं: हमारे दूतावास और अमेरिकी ग़ैरसरकारी संगठनों और अमेरिकी समाचार संस्थाओं के लिए काम करने वाले लोग; और ऐसे अफ़ग़ान जो अन्यथा बहुत जोखिम में हैं।

मैं जानता हूं कि इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि हमने अफ़ग़ानों को — नागरिकों को निकालने का काम जल्दी क्यों नहीं शुरू किया। इसके जवाब का एक पहलू ये है कि कुछ अफ़ग़ान पहले निकलना नहीं चाहते थे — अभी भी अपने देश के लिए आशान्वित थे। और इसका एक पहलू ये है कि अफ़ग़ान सरकार और उसके समर्थकों ने हमसे सामूहिक निकासी की प्रक्रिया से बचने का आग्रह किया था ताकि, उन्हीं के शब्दों में, “भरोसे के संकट” की स्थिति से बचा जा सके।

अमेरिकी सैनिक इस मिशन को हमेशा की तरह पेशेवर और प्रभावी ढंग से पूरा कर रहे हैं, लेकिन यह जोखिम के बिना नहीं है।

वापसी के इस अभियान को पूरा करते हुए, हमने तालिबान को स्पष्ट कर दिया है: यदि वे हमारे कर्मियों पर हमला करते हैं या हमारे ऑपरेशन को बाधित करते हैं, तो अमेरिकी प्रतिक्रिया तेज़ और ज़ोरदार होगी। यदि आवश्यक हुआ तो हम अपने लोगों की रक्षा के लिए विनाशकारी शक्ति का भी इस्तेमाल करेंगे।

हमारा वर्तमान सैन्य मिशन कम अवधि का, सीमित दायरे वाला, और लक्षित उद्देश्यों पर केंद्रित होगा: हमारे लोगों और हमारे सहयोगियों को जितनी जल्दी हो सके सुरक्षित बाहर निकालना।

और इस मिशन को पूरा करने के साथ ही हम अपनी सैन्य वापसी को संपन्न करेंगे। हम 20 साल के लंबे रक्तपात के बाद अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को ख़त्म करेंगे।

अब हम जो घटनाएं देख रहे हैं, वे इस बात के दुखद प्रमाण हैं कि सैन्य बल की कोई भी मात्रा कभी भी एक स्थिर, एकजुट और सुरक्षित अफ़ग़ानिस्तान सुनिश्चित कर सकती — जोकि इतिहास में “साम्राज्यों के कब्रिस्तान” के रूप में जाना जाता है।

अभी जो हो रहा है, वह 5 साल पहले या भविष्य में 15 साल बाद भी आसानी से हो सकता था। हमें ईमानदार होना होगा: अफ़ग़ानिस्तान में हमारे मिशन ने कई गलत क़दम उठाए हैं — पिछले दो दशकों में कई गलत कदम उठाए हैं।

मैं अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध का नेतृत्व करने वाला चौथा अमेरिकी राष्ट्रपति हूं — दो डेमोक्रेट और दो रिपब्लिकन। मैं इस ज़िम्मेदारी को पांचवें राष्ट्रपति को नहीं सौंपूंगा।

मैं अमेरिकी लोगों को यह दावा करके गुमराह नहीं करूंगा कि अफ़ग़ानिस्तान में बस थोड़ा और समय रुकने से सब कुछ बदल जाएगा। न ही मैं अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी से हटूंगा कि हम आज किस स्थिति में हैं और हमें यहां से कैसे आगे बढ़ना चाहिए।

मैं संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति हूं, और आख़िर में ज़िम्मेदारी मेरी है।

अभी हमें जिस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, उसका मुझे गहरा दुख है। लेकिन मुझे अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के युद्ध को समाप्त करने तथा वहां और दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने आतंकवादरोधी मिशनों पर लेज़र-फोकस रखने के अपने फैसले पर खेद नहीं है।

अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा के आतंकवादी ख़तरे को कम करने और ओसामा बिन लादेन को मारने का हमारा मिशन सफल रहा।

सदियों के इतिहास से पार पाने और अफ़ग़ानिस्तान को स्थाई रूप से बदलने और उसके पुनर्निर्माण का हमारा दशकों पुराना प्रयास सफल नहीं हुआ, और मैंने लिखा भी और मुझे यक़ीन था कि ये कभी नहीं हो सकता।

मैं नहीं कह सकता, और मैं अपने सैनिकों को दूसरे देश के गृहयुद्ध में अंतहीन रूप से लड़ने, हताहत होने, ज़िंदगी बदल देने वाली चोटें झेलने और फलस्वरूप परिवारों को दुख और शोक में डुबोने के लिए नहीं कहूंगा।

यह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हित में नहीं है। यह वो काम नहीं है जो अमेरिकी लोग चाहते हैं। यह पिछले दो दशकों में इतना कुछ बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लायक़ काम नहीं है।

जब मैं राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहा था तो मैंने अमेरिकी लोगों से प्रतिबद्धता जताई कि मैं अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की सैन्य भागीदारी को समाप्त कर दूंगा। और भले यह कठिन और अप्रिय रहा है — और हां, सुचारू बिल्कुल नहीं — लेकिन मैंने उस प्रतिबद्धता को पूरा किया है।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने इस देश की सेवा करने वाले बहादुर पुरुषों और महिलाओं के लिए एक संकल्प लिया था कि मैं उन्हें एक ऐसे सैन्य अभियान में अपना जीवन जोखिम में डालने के लिए नहीं कहूंगा जो बहुत पहले समाप्त हो जाना चाहिए था।

हमारे नेताओं ने वियतनाम में ऐसा किया था जब मैं एक युवक के रूप में यहां आया था। मैं अफ़ग़ानिस्तान में ऐसा नहीं करूंगा।

मुझे पता है कि मेरे निर्णय की आलोचना की जाएगी, लेकिन मैं इस निर्णय को अमेरिका के अगले राष्ट्रपति — एक और — पांचवें राष्ट्रपति पर डालने के बजाय सारी आलोचनाएं झेलना पसंद करूंगा।

क्योंकि यह सही है — यह हमारे लोगों के लिए सही निर्णय है। यह हमारे बहादुर सैनिकों के लिए सही निर्णय है जिन्होंने हमारे देश की सेवा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली है। और यह अमेरिका के लिए सही निर्णय है।

इसलिए आपका धन्यवाद। ईश्वर हमारे सैनिकों, हमारे राजनयिकों और जोखिम में काम कर रहे सभी बहादुर अमेरिकियों की रक्षा करें।

4:21 अपराह्न ईडीटी


मूल स्रोत: https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2021/08/16/remarks-by-president-biden-on-afghanistan/ 

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।

U.S. Department of State

The Lessons of 1989: Freedom and Our Future