व्हाइट हाउस
जुलाई 14, 2022
वाल्डोर्फ़ एस्टोरिया जेरूसलम
जेरूशलम, इज़रायल
1:35 अपराह्न आईडीटी
संचालक: (बात जारी रखते हुए) – हम अमेरिका के राष्ट्रपति माननीय जोसेफ़ आर. बाइडेन जूनियर का स्वागत करते हैं, और हमारे साथ वर्चुअल रूप में जुड़ रहे हैं: संयुक्त अरब अमीरात के माननीय राष्ट्रपति महामहिम शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान; भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री महामहिम नरेंद्र मोदी।
हम आज के आई2यू2 शिखर सम्मेलन की शुरुआत विशिष्ट नेताओं में से प्रत्येक के आरंभिक वक्तव्यों के साथ करेंगे, जिसके बाद वे परस्पर वार्ता में भाग लेंगे।
मैं संयुक्त अरब अमीरात के माननीय राष्ट्रपति महामहिम शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान को अपना उद्घाटन वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा।
प्रधानमंत्री लैपिड: हम उन्हें सुन नहीं पा रहे हैं।
संचालक: लगता है कि हम कुछ तकनीकी व्यवधान का सामना कर रहे हैं। कृपया थोड़ा धैर्य रखें।
राष्ट्रपति बिन ज़ायद अल नाहयान: (भाषांतर के अनुसार।) महामहिम इज़रायल के प्रधानमंत्री; (अश्रव्य) अमेरिका के राष्ट्रपति; महामहिम भारत के प्रधानमंत्री: आप सभी का अभिवादन।
सबसे पहले मैं आई2यू2 लीडर्स समिट की मेज़बानी के लिए इज़रायल का आभार व्यक्त करना चाहूंगा।
मैं अमेरिका और भारत के नेतृत्व को भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने और इस समूह के कार्यों की सफलता हेतु उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं (अश्रव्य)।
यह शिखर सम्मेलन शांति, सहिष्णुता और समृद्धि पर आधारित साझा मूल्यों और लक्ष्यों वाले देशों और अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग के महान अवसर का स्पष्ट प्रमाण है।
हमारे देश भौगोलिक सीमा साझा नहीं करते हैं, फिर भी वे शांति के लिए और जनकल्याण एवं समृद्धि हेतु अपने संयुक्त प्रयासों के लिए एकजुट हैं (अश्रव्य)।
हम, संयुक्त अरब अमीरात में, मानते हैं कि समानता शांति, सुरक्षा और प्रगति हासिल करने का सबसे अच्छा माध्यम है, खासकर जब सरकारों और लोगों में साझेदार बनाने और चुनौतियों का सामना करने की इच्छाशक्ति और साहस हो।
हम यह भी मानते हैं कि केवल साझेदारी ही आज के संघर्षों और परस्परव्यापी चुनौतियों को दूर कर सकती है, जिनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य सुरक्षा।
यह महत्वपूर्ण है कि हमारी (अश्रव्य) टीम की पहली परियोजना में भोजन, जलवायु-अनुकूल कृषि, सौर एवं पवन ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मैं अब तक हासिल उपलब्धियों के लिए समूह के नेताओं और चारों देशों की (अश्रव्य) टीम की सराहना करते हुए आने वाले समय में अनुसंधान एवं विकास, स्वास्थ्य सुरक्षा और अंतरिक्ष को प्राथमिकता देने के महत्व पर ज़ोर देना चाहता हूं।
मैं हमारे देशों की विशिष्टताओं (अश्रव्य) का इस्तेमाल करने और नेतृत्व प्रदान करने (अश्रव्य) का भी आह्वान करता हूं।
प्रिय नेतागण, मैं आज एक उपयोगी शिखर सम्मेलन की आशा करता हूं और आगे आई2यू2 समूह के भीतर द्विपक्षीय स्तर पर और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आपके साथ काम करने के लिए तत्पर हूं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं जी20 शिखर सम्मेलन और पक्षकारों का 28वां सम्मेलन यूएई अगले साल जिसकी मेज़बानी करेगा।
मैं ये भी आशा करता हूं कि हमारी पूरी टीम शांति और समृद्धि की इच्छा रखने वालों के लिए एक मॉडल साबित होगी, और उन महान अवसरों (अश्रव्य) को साकार करेगी, जिन्हें नासमझ चरमपंथ ने अच्छी ज़िंदगी जीने की चाहत वाले लोगों की क़ीमत पर गंवा दिया था।
शुक्रिया।
संचालक: धन्यवाद, राष्ट्रपति जी। अब मैं इज़रायल के प्रधानमंत्री महामहिम यैर लैपिड को अपना उद्घाटन वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा।
प्रधानमंत्री लैपिड: धन्यवाद, अमेरिका के माननीय राष्ट्रपति जो बाइडेन; संयुक्त अरब अमीरात के माननीय राष्ट्रपति महामहिम शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान; और भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी।
दोस्तों, इस समूह का जन्म कई महीने पहले वाशिंगटन डीसी में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत के घर पर रात्रिभोज के दौरान हुआ था। हम मेज़ पर जमा थे और इस बात की चर्चा कर रहे थे कि महामारी पर नियंत्रण पाने के बाद, कैसे लोगों की पुराने ढर्रे पर लौटने की कोशिश विफल हो जाएगी। जबकि एक नई दुनिया में और नई चुनौतियों के साथ होने का अहसास करने वाले सफल होंगे और फले-फूलेंगे।
वह रात्रिभोज बुधवार की एक शाम को था। कुछ ही दिनों के बाद, जोकि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में एक विश्व रिकॉर्ड ही होगा, मेरे मित्र भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर जेरूसलम में मेरे कार्यालय में मौजूद थे; टोनी ब्लिंकन और शेख़ अब्दुल्ला बिन ज़ायद ज़ूम के ज़रिए जुड़े हुए थे। और हमने इस क्वाड का – आई2यू2 फ़ोरम का पहला समिट आयोजित किया।
हमने शुरुआत इस बात से की थी कि, जिस नई दुनिया में हम रहते हैं, उसमें हमें अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त का अधिकतम लाभ उठाने तथा सही संसाधनों के साथ सटीक उन्नत तकनीक को एकजुट करने के लिए हमें त्वरित सहयोग करने की अपनी क्षमता को बेहतर करने की आवश्यकता है।
जब ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा एवं जल, प्रौद्योगिकी, रक्षा और व्यापार की बात आती है तो हमें नए तरीके से सोचने की ज़रूरत है। हमारे देशों में से प्रत्येक की अपनी बिल्कुल अलग चुनौतियां और बिल्कुल अलग विशेषताएं हैं। लेकिन यही बात हमारी क्षमता को और भी प्रबल बनाती है।
21वीं सदी में चुनौतियां स्थानीय हैं लेकिन समाधान वैश्विक हैं।
मैं आपको दो त्वरित उदाहरण देता हूं। पूरी दुनिया खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से जूझ रही है। जलवायु संकट, यूरोप में युद्ध और कोविड-19 महामारी के मिलेजुले असर ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति बना दी है। अफ्रीका में, लैटिन अमेरिका में, पूर्वी एशिया में और निश्चित रूप से मध्य पूर्व में, खाद्य सुरक्षा मुख्य मुद्दा बनने जा रही है।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच फ़ूड कॉरिडोर जैसी पहल, जिसे इस समूह ने सामने रखा था, एक ऐसी समस्या के रचनात्मक समाधान का स्पष्ट उदाहरण है जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं। खाद्य और खाद्य संरक्षण प्रौद्योगिकियों का तीव्र प्रसार, तुलनात्मक लाभों को एकत्रित करने की क्षमता – यही समस्या का समाधान है।
एक अन्य उदाहरण सौर और पवन ऊर्जा भंडारण परियोजना का है। इस विषय में भी, विचार एक गंभीर संकट का सामना कर रहे ऊर्जा बाज़ार के मद्देनज़र तकनीकी क्षमताओं, जिनमें से कुछ अभी विकास की अवस्था में ही हैं, का अधिकतम लाभ उठाने का है।
जब से यूक्रेन में युद्ध छिड़ा है, हम में से प्रत्येक को स्थानीय स्तर पर संकट का सामना करना पड़ा है। जीवनयापन की लागत पर इसका प्रभाव त्वरित और नाटकीय रहा है। और, ज़ाहिर है, इसके राजनीतिक निहितार्थ हैं।
वास्तविक समाधान केवल उन देशों के बीच सहयोग के माध्यम से आएंगे जो दिमागी शक्ति, ज्ञान और संसाधनों को परस्पर साथ लाना जानते हैं।
मैं ज़ोर देना चाहूंगा: यह कोई परोपकारी समूह नहीं है। हम दुनिया को बेहतरी के लिए बदलना चाहते हैं, लेकिन हम अपने देशों के लिए, अपने व्यवसायों के लिए, अपने विज्ञान क्षेत्र के लिए सापेक्ष लाभ भी पैदा कर रहे हैं। मैंने जिन दोनों परियोजनाओं का उल्लेख किया है, उनमें स्थानीय कंपनियों और प्रासंगिक प्रौद्योगिकियां की सूची पहले ही साझा की जा चुकी है। हमारा लक्ष्य निजी बाज़ार को इस पहल में पूर्ण भागीदार बनाने का है।
यह समूह दिलचस्प है क्योंकि हम चार अलग-अलग देश हैं, लेकिन जब हमने आपस में बात करना शुरू किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि हम सभी एक ही चीज़ चाहते हैं: अपने बच्चों को सर्दियों में गर्म रखना, उनके लिए मेज़ पर खाना और नल का साफ पानी लाना, तथा उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उन्नत स्वास्थ्य सेवा और परिवहन के बुनियादी ढांचे उपलब्ध कराना। हम अपनी पीढ़ी द्वारा जलवायु और पर्यावरण को पहुंचाए जा रहे नुक़सान को भी कम करना चाहते हैं।
ये बड़ी चुनौतियां हैं। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा या कितना भी अमीर क्यों न हो, इनसे अकेले नहीं निपट सकता। दूसरी ओर, मेरा यह भी मानना है – और यह इस बैठक के आयोजन के उद्देश्यों में शामिल है – कि जो समूह बहुत बड़े हैं वे अंततः अप्रभावी हो सकते हैं।
यह क्वाड, मेरे विचार में, सही मॉडल है। हमारी विशिष्टताएं एक दूसरे के लिए स्पष्ट हैं, और हमारी सारी जरूरतें भी। हम पर्याप्त लचीलापन रखते हुए एक ऐसा तंत्र बना सकते हैं जो तीव्र और स्मार्ट निर्णय ले सके। साथ ही, हम हमेशा उन देशों के साथ तदर्थ संबंध बनाने के तरीके खोज सकते हैं जो हमारे साथ मिलकर परियोजनाओं को आगे बढ़ाना चाहते हों।
जिन परियोजनाओं का मैंने उल्लेख किया है, वो बस अभी शुरुआत भर हैं; सूची में नए नाम जुड़ते जा रहे है। नेताओं के रूप में हमारी भूमिका अपनी टीमों को वास्तविक बदलाव की संभावना वाले क्षेत्रों पर शोध करने, नई परियोजनाओं का परीक्षण करने, उन्हें कार्यरूप देने, और उन्हें वैज्ञानिक एवं व्यावसायिक समुदायों से जोड़ने के लिए अधिकतम परिश्रम करने हेतु प्रेरित करने की है।
इस बैठक पर दुनिया की नज़र है। इससे पता चलता है कि यहां कुछ विशेष घटित हो रहा है – एक नए प्रकार का आर्थिक और क्षेत्रीय सहयोग – ऐसा सहयोग जो हमारे सामने मौजूद समस्याओं के अनुरूप अधिक लचीला और बेहतर अनुकूलित है।
इस बैठक से जो भी कूटनीतिक और आर्थिक परिणाम निकलेंगे, वे एक नए प्रकार के सहयोग के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को उजागर करेंगे।
इस साझेदारी में, प्रत्येक देश और हरेक साझेदार अपनी-अपनी विशिष्टताएं सामने रख रहे हैं ताकि संयुक्त प्रभाव कहीं अधिक व्यापक हो।
यह शुरुआत भर है। शुक्रिया।
संचालक: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी। अब मैं अमेरिका के राष्ट्रपति माननीय जोसेफ़ आर. बाइडेन जूनियर को अपना उद्घाटन वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा।
राष्ट्रपति बाइडेन: प्रधानमंत्री लैपिड, इस समूह की पहली शिखरस्तरीय बैठक आयोजित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति बिन ज़ायद, हमारे तमाम लोगों के लिए अतिमहत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू करने हेतु मध्य पूर्व और हिंद-प्रशांत में अहम साझेदारों के बीच संबंधों को मज़बूत करने और सहयोग बढ़ाने के लिए आप जो काम कर रहे हैं, उसके लिए आपका धन्यवाद।
सच्चाई यह है: दुनिया में, 21वीं सदी की हमारी दुनिया में, हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए अपेक्षित है कि हम साथ मिलकर काम करने के नए तरीके खोजें, चाहे वह तेज़ी से गहराते जलवायु संकट – जिसे कि यहां मध्य पूर्व में रोज़ महसूस किया जाता है – से निपटना हो; या अपने पड़ोसी यूक्रेन पर रूस के क्रूर और अकारण हमले से बदतर होती खाद्य असुरक्षा और अस्थिर ऊर्जा बाज़ार की स्थिति का सामना करना; या स्वास्थ्य सुरक्षा ज़रूरतों और वैश्विक महामारी के कारण आई आर्थिक गिरावट – जिसे हम सभी ने पिछले दो वर्षों के दौरान महसूस किया है – से निपटना।
इन सभी मुद्दों के लिए सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है। और हममें से कोई भी अकेले व्यापक समाधान नहीं दे सकता है। हम जितना अधिक मिलकर काम करेंगे, उतना अधिक हमें फ़ायदे बढ़ते दिखेंगे, और उतना ही अधिक हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को आगे बढ़ा सकेंगे। ये सारी प्रक्रियाएं साथ-साथ चलती हैं।
पिछले अक्टूबर में जब हमारे विदेश मंत्री पहली बार इस समूह के तहत एकत्रित हुए थे, तो मुझे लगता है कि हम सभी ने एक साझा एजेंडे को आगे बढ़ाने के फ़ायदों को तुरंत समझ लिया था। यह साझा चुनौतियों से निपटने के लिए इन विश्वसनीय साझेदारियों के माध्यम से इज़रायल के साथ संबंधों के सामान्यीकरण और आर्थिक एकीकरण को साकार करने के व्यावहारिक प्रभावों के महत्व को प्रदर्शित करने के बारे में है।
हमारे राष्ट्र दुनिया के सर्वाधिक नवोन्मेषी, तकनीकी रूप से सक्षम और उद्यमशील लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर कदम पर हमें विचार करना चाहिए, “हम साथ मिलकर क्या हासिल कर सकते हैं?”
खाद्य सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा की जिन पहली दो परियोजनाओं पर हम एक साथ काम कर रहे हैं, उन्हें दुनिया भर के लोगों को प्रभावित करने वाले दो सबसे तात्कालिक संकटों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है: खाद्य और सुरक्षा। अमेरिका और इज़रायल के निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों के सहयोग से पूरे भारत में एकीकृत कृषि पार्क विकसित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के निवेश में इस क्षेत्र में भारत की खाद्य पैदावार को केवल पांच वर्षों में तीन गुना बढ़ाने की क्षमता है।
भारत दुनिया का एक प्रमुख खाद्य उत्पादक है। भारत के किसानों और क्षेत्र में भूख और कुपोषण से पीड़ित लोगों पर इसके लाभकारी प्रभाव उल्लेखनीय हैं।
इसी तरह, अमेरिका 300 मेगावाट पवन और सौर ऊर्जा क्षमता और साथ ही बैटरी भंडारण क्षमता को विकसित करने के लिए भारत में एक हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना की संभाव्यता के अध्ययन का पहले ही वित्तपोषण कर चुका है।
हमारे चार राष्ट्रों के अपनी विशेषज्ञताएं साझा करने और निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के कारण भारत को 2030 तक 500 गीगावाट गैरजीवाश्म बिजली क्षमता के अपने जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।
हमारी साझा चुनौती वास्तविक परिणाम देने की है जिसे कि लोग अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में महसूस कर सकें।
एक अन्य प्रमुख क्षेत्र जहां हम बड़ा बदलाव ला सकते हैं, वह है बुनियादी ढांचा। दुनिया भर में सही तरीके से तैयार बुनियादी ढांचे की बहुत जरूरत है: जिसमें पारदर्शिता हो और लक्षित समुदायों के साथ साझेदारी हो। अभी, इस क्षेत्र में एक खालीपन है।
इसलिए अगले कुछ वर्षों में, यह समूह नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की संभावनाओं की पहचान करेगा, जिनमें कि हम निवेश कर सकें और जिनको हम साथ मिलकर विकसित कर सकें। साथ-साथ।
यह बैठक पहला क़दम भर है, हमारे चारों देशों के बीच सहयोग के इस नए प्रारूप के फ़ायदों को प्रदर्शित करने का अवसर। और आई2यू2 की संभावनाओं पर और सभी के लिए साथ मिलकर काम करते हुए, मैं नेताओं के स्तर पर घनिष्ठता से जुड़े रहने की आशा करता हूं। अगर हम साथ रहें तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं।
इसलिए, मैं इस तरह आगे बढ़ने के लिए सहमत होने पर आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे लगता है कि हम बेहतरीन काम कर सकते हैं। शुक्रिया।
संचालक: धन्यवाद, राष्ट्रपति जी। अब मैं भारत के प्रधानमंत्री महामहिम नरेंद्र मोदी को अपना उद्घाटन वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा।
प्रधानमंत्री मोदी: (भाषांतर के अनुसार।) महामहिम प्रधानमंत्री लैपिड, महामहिम शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायद अल नाहयान, और महामहिम राष्ट्रपति बाइडेन।
सबसे पहले, प्रधानमंत्री लैपिड को प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आज के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने के लिए भी मैं उन्हें तहेदिल से धन्यवाद देता हूं।
वाक़ई यह रणनीतिक साझेदारों की बैठक है। हम सभी अच्छे दोस्त भी हैं, और हमारे दृष्टिकोण और हमारे हितों में बहुत समानताएं हैं।
महानुभावों, महामहिम, आई2यू2 ने आज अपने पहले शिखर सम्मेलन से एक सकारात्मक एजेंडा स्थापित किया है। हमने कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं के अवसरों की पहचान की है और उन्हें कार्यरूप देने के लिए रोडमैप भी बनाया है। आई2यू2 ढांचे में, हम छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त निवेश बढ़ाने पर सहमत हुए हैं: जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा। यह स्पष्ट है कि आई2यू2 का विज़न और एजेंडा दोनों ही प्रगतिशील और व्यावहारिक हैं।
हम अपने देशों की पारस्परिक विशिष्टताओं यानि पूंजीगत विशेषज्ञता और बाज़ारों को लामबंद करके अपने एजेंडे को गति दे सकते हैं, और इस तरह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच हमारा सहकारी ढांचा व्यावहारिक सहयोग के लिए भी एक अच्छा मॉडल है। मुझे विश्वास है कि आई2यू2 के ज़रिए हम ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास के क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे। शुक्रिया।
संचालक: आप सभी विशिष्ट नेताओं को धन्यवाद। अब हम नेताओं के बीच पारस्परिक वार्ता जारी रखेंगे।
लाइव प्रसारण यहीं ख़त्म होगा। प्रेस प्रतिनिधियों को धन्यवाद। कृपया बाहर की ओर प्रस्थान करें।
1:55 अपराह्न आईडीटी
अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।