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व्हाइट हाउस
जून 22, 2023

  1. भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी संबंधी साझेदारी:

सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को मज़बूत करना: माइक्रोन टेक्नोलॉजी इन्कॉर्पोरेटेड – इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के समर्थन से – भारत में 2.75 बिलियन डॉलर की नई सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण इकाई में 800 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेगी। एप्लाइड मटेरियल्स ने घोषणा की है कि वह दोनों देशों के सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन विविधीकरण को और मज़बूत करने के लिए भारत में सेमीकंडक्टर सेंटर फ़ॉर कमर्शियलाइज़ेशन एंड इनोवेशन स्थापित करेगी। और, लैम रिसर्च भारत के सेमीकंडक्टर शिक्षा और कार्यबल विकास संबंधी लक्ष्यों की दिशा में प्रगति तेज़ करने हेतु अपने “सेमीवर्स सॉल्यूशन” के माध्यम से 60,000 भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षित करेगी। यूएस सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स सेमीकंडक्टर एसोसिएशन ने अल्पावधि के औद्योगिक अवसरों की पहचान करने और पूरक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के दीर्घकालिक रणनीतिक विकास को सुगम बनाने के लिए एक अंतरिम तत्परता आकलन जारी किया है।

अहम खनिजों संबंधी साझेदारी: अमेरिका खनिज सुरक्षा साझेदारी (एमएसपी) के नवीनतम साझेदार के रूप में भारत का स्वागत करता है। इसकी स्थापना वैल्यू चेन के अनुरूप सामरिक महत्व की परियोजनाओं के लक्षित वित्तीय और कूटनीतिक समर्थन के ज़रिए वैश्विक स्तर पर अहम ऊर्जा खनिजों की विविध और टिकाऊ सप्लाई चेन के विकास को तेज़ करने के लिए स्थापित की गई है। भारत हमारी अहम खनिज सप्लाई चेन में विविधता लाने और उन्हें सुरक्षित करने के हमारे साझा उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए गठित यूरोपीय संघ और 12 अन्य साझेदार के समूह में शामिल हो जाएगा। एमएसपी की शुरुआत जून 2022 में सतत आर्थिक विकास के अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए उच्च पर्यावरण, सामाजिक और शासन मानकों का पालन करते हुए निजी क्षेत्र के निवेश में विविधता और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तपोषण में तेज़ी लाने हेतु अहम खनिज क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों की जानकारी के आदान-प्रदान के घोषित लक्ष्यों के साथ की गई थी। भारत की एप्सिलॉन कार्बन लिमिटेड इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के घटकों का निर्माण करने वाली एक ग्रीनफ़ील्ड फ़ैक्ट्री में 650 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी, और इसके तहत पांच वर्षों के दौरान 500 से अधिक कर्मचारियों को रोज़गार देगी। मंज़ूरी मिलने पर, यह सिंथेटिक ग्रेफ़ाइट एनोड प्रसंस्करण इकाई अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी उद्योग में अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े भारतीय निवेश को साकार करेगी।

उन्नत दूरसंचार: भारत और अमेरिका ने सार्वजनिक-निजी संयुक्त कार्यबल शुरू किए हैं, जिनमें से एक ओपन आरएएन सिस्टम के विकास और तैनाती पर, तथा दूसरा उन्नत दूरसंचार अनुसंधान और विकास पर केंद्रित है। भारतीय भारत 6जी और अमेरिकी नेक्स्ट जी एलायंस इस सार्वजनिक-निजी अनुसंधान का सहनेतृत्व करेंगे। इस प्रयास से लागत घटेगी, सुरक्षा बढ़ेगी और दूरसंचार नेटवर्क की सुदृढ़ता बेहतर होगी। यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फ़ाइनेंस कॉर्पोरेशन से वित्तपोषण के माध्यम से, और यूएसएआईडी के साथ साझेदारी में, भारत और अमेरिका अपने देशों में ओपन आरएएन सिस्टम की तैनाती शुरू करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में इस तकनीक के व्यापक उपयोग की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जा सके। दोनों नेताओं ने यूएस रिप एंड रिप्लेस प्रोग्राम में भारतीय कंपनियों की भागीदारी का भी स्वागत किया।

अंतरिक्ष के नए क्षितिज: भारत ने आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो संपूर्ण मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण की साझा परिकल्पना को आगे बढ़ाता है। भारत शांतिपूर्ण, स्थायी और पारदर्शी सहयोग के लिए प्रतिबद्ध 26 अन्य देशों के समूह में शामिल हो गया है जो चंद्रमा, मंगल और उससे परे अन्वेषण को संभव बनाएगा। नासा 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए संयुक्त प्रयास करने के लक्ष्य के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष यात्रियों को उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, नासा और इसरो 2023 के अंत तक मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक रणनीतिक ढांचा विकसित कर रहे हैं। अपने यहां लेज़र इंटरफ़ेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी के निर्माण के लिए भारत ने 318 मिलियन डॉलर के निवेश को मंजूरी दे दी है – जो अमेरिका, यूरोप और जापान में इसी तरह के केंद्रों के साथ मिलकर दिककाल में उठने वाली हलचलों – जिन्हें गुरुत्वीय तरंगों के रूप में जाना जाता है और जो ब्रह्मांड की भौतिक उत्पत्ति के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं – का अध्ययन करेगी। नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) के लिए वैज्ञानिक उपकरण भारत पहुंचा दिए गए हैं जिसे 2024 में लॉन्च किया जाएगा। यह रडार धरती के बदलते पारिस्थितिक तंत्र से जुड़ी घटनाओं का मापन करेंगे, जैसे प्राकृतिक आपदाएं और समुद्र के स्तर में वृद्धि। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और इसरो विस्तारित द्विपक्षीय डेटा विनिमय पर बातचीत कर रहे हैं जो धरती के बारे में अधिक जानकारी प्रदान कर सकेगा, जिसमें जलवायु सुदृढ़ता, सतत विकास एवं प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, और आपदा प्रबंधन समर्थन जैसे कई अनुप्रयोग शामिल हैं।

क्वांटम, उन्नत कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: भारत और अमेरिका ने एक संयुक्त इंडो-यूएस क्वांटम समन्वय तंत्र की स्थापना की है जो हमारे दोनों देशों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच संयुक्त अनुसंधान को सुगम बना सकेगा। अमेरिका ने क्वांटम एंटैंगलमेंट एक्सचेंज और क्वांटम इकोनॉमिक डेवलपमेंट कंसोर्टियम दोनों में भारत की भागीदारी का भी स्वागत किया, जो राष्ट्रों के बीच क्वांटम प्रौद्योगिकी संबंधी आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, भारत और अमेरिका ने क्वांटम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), और उन्नत वायरलेस प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए एक इम्प्लांटिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास एवं व्यावसायीकरण के लिए यूएस-इंडिया साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंडोमेंट फ़ंड के 2 मिलियन डॉलर के अनुदान का उपयोग किया जाएगा। गूगल बेंगलुरु में अपने एआई रिसर्च सेंटर के ज़रिए 100 से अधिक भारतीय भाषाओं में उपयोग के लिए मॉडल तैयार कर रहा है, और साथ ही एआई मॉडलों हेतु संवाद डेटा की ओपन सोर्सिंग के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसने रिस्पॉन्सिबल एआई के लिए एक बहुविधा केंद्र स्थापित करने के वास्ते आईआईटी मद्रास के साथ भी साझेदारी की है।

अत्याधुनिक अनुसंधान: यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन ने भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ 35 संयुक्त अनुसंधान सहयोग कार्यक्रमों की घोषणा की और उभरती प्रौद्योगिकियों पर भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ एक नई सहकारी व्यवस्था संबंधी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। भारत का परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) अमेरिकी ऊर्जा विभाग (डीओई) की फ़र्मी नेशनल लेबोरेटरी को लॉन्ग बेसलाइन न्यूट्रिनो केंद्र, जो इस क्षेत्र में अमेरिका का प्रथम और दुनिया का सबसे बड़ा अनुसंधान केंद्र है, में प्रोटॉन इम्प्रूवमेंट प्लान-2 एक्सेलेरेटर के सहयोगात्मक विकास के लिए 140 मिलियन डॉलर का योगदान दे रहा है।

इनोवेशन हैंडशेक: यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) का समर्थन करने के लिए, यूएस-इंडिया कमर्शियल डायलॉग दोनों देशों के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्रों को जोड़ने के लिए एक नया “इनोवेशन हैंडशेक” लॉन्च करेगा। यह कार्यक्रम परस्पर सहयोग में आने वाली नियामक बाधाओं को दूर करेगा, उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में रोज़गार वृद्धि को बढ़ावा देगा और हाइटेक अपस्किलिंग के अवसरों को सामने लाएगा।

फाइबर ऑप्टिक्स निवेश: भारत की स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने कोलंबिया, दक्षिण कैरोलिना के पास एक ऑप्टिकल फाइबर केबल विनिर्माण इकाई की स्थापना हेतु 100 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो भारत से ऑप्टिकल फाइबर के 150 मिलियन डॉलर के वार्षिक निर्यात को संभव बनाएगी।

  1. रक्षा के क्षेत्र में अगली पीढ़ी की साझेदारी:

जीई एफ़414 इंजन का सहउत्पादन: भारत में संयुक्त रूप से एफ़414 जेट इंजन का उत्पादन करने के लिए अमेरिका और भारत जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के ऐतिहासिक प्रस्ताव का स्वागत करते हैं। जीई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, साथ ही अमेरिकी संसद को अधिसूचना के लिए एक विनिर्माण लाइसेंस समझौता प्रस्तुत किया गया है। भारत में एफ़-414 इंजन बनाने की यह अभूतपूर्व पहल – अपनी तरह की पहली – अमेरिकी जेट इंजन प्रौद्योगिकी के पहले से कहीं अधिक हस्तांतरण को संभव बनाएगी।

जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9बी: भारत सशस्त्र एमक्यू-9बी सीगार्जियन यूएवी खरीदने का इरादा रखता है। यह उन्नत तकनीक भारत की खुफ़िया, निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाएगी।

पोत रखरखाव और मरम्मत संबंधी नए समझौते: अमेरिकी नौसेना ने कट्टुपल्ली (चेन्नई) स्थित लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड के साथ मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट (एमएसआरए) किया है तथा मझगांव डॉक लिमिटेड (मुंबई) और गोवा शिपयार्ड (गोवा) के साथ समझौतों को अंतिम रूप दे रही है। ये समझौते नौवहन के दौरान अमेरिकी नौसेना के जहाज़ों को भारतीय शिपयार्डों में रखरखाव और मरम्मत की अनुमति देंगे, जिससे अनेक सैन्य क्षेत्रों में अमेरिकी सैन्य अभियानों के लिए किफ़ायती और समय बचाने वाली रखरखाव सुविधाएं संभव हो सकेंगी।

अधिक मज़बूत रक्षा सहयोग: अमेरिका और भारत ने उन उपायों को क्रियाशील करने के लिए कदम बढ़ाए हैं जो हमें अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाने की अनुमति देंगे। अमेरिका और भारत ने समुद्रीतल संबंधी जानकारी हासिल करने हेतु सहयोग को मज़बूत करने का संकल्प लिया है। पहली बार  तीन भारतीय संपर्क अधिकारियों को अमेरिकी कमान के तहत रखने का समझौता किया गया है, जो हमारी साझेदारी और अहम जानकारियों को साझा करने की व्यवस्था को और प्रगाढ़ बनाएगा। अमेरिका और भारत ने सप्लाई चेन सुरक्षा एवं पारस्परिक रक्षा खरीद व्यवस्था समझौते के लिए भी बातचीत शुरू की है जो अप्रत्याशित सप्लाई चेन व्यवधानों की स्थिति में रक्षा सामग्रियों की आपूर्ति को सक्षम बनाएगा। अमेरिका और भारत ने रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप को अंतिम रूप दिया है जो रक्षा उद्योगों को नीतिगत दिशा प्रदान करने और उन्नत रक्षा प्रणालियों के सहउत्पादन के साथ-साथ सैन्य ताक़त का भविष्य तय करने वाली प्रौद्योगिकियों संबंधी सहयोगात्मक अनुसंधान, परीक्षण और प्रोटोटाइप निर्माण को संभव बनाता है।

रक्षा “इनोवेशन ब्रिज”: इंडिया-यूएस डिफ़ेंस एक्सलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X), जोकि विश्वविद्यालयों, इनक्यूबेटर संस्थानों, कंपनियों, थिंक टैंक संस्थाओं और निजी निवेश हितधारकों का एक नेटवर्क है, का 21 जून 2023 को उद्घाटन किया गया। यह अभिनव कार्यक्रम रक्षा प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त नवाचार को सुगम बनाएगा और भारत के निजी क्षेत्र में उभरते रक्षा उद्योग के अमेरिकी रक्षा क्षेत्र के साथ एकीकरण की प्रक्रिया को तेज़ करेगा।

रक्षा उद्यम सहयोग रोडमैप: एक नया रक्षा उद्यम सहयोग रोडमैप उन्नत रक्षा प्रणालियों के सहउत्पादन के लिए रक्षा उद्योग को नीतिगत दिशा प्रदान करेगा साथ-साथ सैन्य ताक़त का भविष्य तय करने वाले सहयोगात्मक अनुसंधान, परीक्षण और प्रौद्योगिकियों के प्रोटोटाइप निर्माण को सक्षम और तेज़ करेगा।

  1. हमारे लोगों के लिए साझा समृद्धि और सुविधाएं:

घरेलू वीज़ा नवीनीकरण: अमेरिकी विदेश विभाग इस साल याचिका आधारित अस्थायी कार्य वीज़ा की कुछ श्रेणियों के घरेलू नवीकरण प्रक्रिया हेतु एक पायलट कार्यक्रम लॉन्च करेगा। इसमें भारतीय नागरिकों को भी शामिल किया गया, जिन्हें अब पात्र श्रेणियों में नवीकरण के लिए देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। पात्र श्रेणियों की संख्या बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए विदेश विभाग 2024 में एच1बी और एल वीज़ाधारकों के विस्तारित वर्ग को इस कार्यक्रम के दायरे में लाएगा।

नए वाणिज्य दूतावास: अमेरिका की योजना बेंगलुरु और अहमदाबाद में नए वाणिज्य दूतावास खोलने की है। जबकि भारत आगे इसी साल सिएटल में अपना वाणिज्य दूतावास खोलेगा, और अमेरिका में दो अतिरिक्त वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा करने के लिए तत्पर है।

छात्र विनिमय और छात्रवृत्तियां: अमेरिका ने पिछले साल 125,000 भारतीय छात्रों को  वीज़ा जारी किया, जो एक रिकॉर्ड है। अकेले पिछले वर्ष 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, भारतीय छात्र अमेरिका में सबसे बड़ा विदेशी छात्र समुदाय बनने की राह पर हैं। भारत और अमेरिका ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों के संघ और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों सहित प्रमुख भारतीय शैक्षणिक संस्थानों का एक नया संयुक्त कार्यबल शुरू किया है। दोनों पक्षों की परिषदों ने दोनों देशों के बीच अनुसंधान और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी के विस्तार के लिए अंतरिम सिफ़ारिशें पेश की हैं। यूएस-इंडिया एज़ुकेशनल फ़ंड के तत्वाधान में अनुसंधान के लिए अतिरिक्त फ़ुलब्राइट-कलाम क्लाइमेट फ़ेलोशिप दिए जाने से जलवायु परिवर्तन पर भारत और अमेरिका के अग्रणी विद्वानों के बीच सहयोग का विस्तार होगा। अमेरिका बेंजामिन ए गिलमैन अंतररराष्ट्रीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम के ज़रिए अतिरिक्त 100 अमेरिकी स्नातक छात्रों को भारत में अध्ययन या इंटर्नशिप की सुविधा देने जा रहा है। विदेश विभाग के स्टडी एब्रॉड एंगेजमेंट ग्रांट के लिए नई फ़ंडिंग अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ विदेशों में अध्ययन कार्यक्रम विकसित करने की भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता का विस्तार कर सकेगी। भारत ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में एक तमिल अध्ययन पीठ की स्थापना के लिए भी धन दे रहा है, और शिकागो विश्वविद्यालय में विवेकानंद विजिटिंग प्रोफ़ेसरशिप के तहत नियुक्ति किए जाने का स्वागत करता है।

विश्वविद्यालय अनुसंधान साझेदारी: दोनों देशों की प्रतिभाओं और महत्वाकांक्षाओं के मद्देनज़र, भारत और अमेरिका ने भारत-अमेरिका ग्लोबल चैलेंज संस्थानों के विश्वविद्यालीय नेटवर्क के शुभारंभ का स्वागत किया। इससे कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अधिक अनुसंधान साझेदारी और विनिमय के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।

सांस्कृतिक संपदा: अमेरिका और भारत सांस्कृतिक संपदा समझौते के लिए बातचीत जारी रख रहे हैं जो भारत से सांस्कृतिक संपदा की अवैध तस्करी को रोकने तथा सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण और वैध विनिमय संबंधी सहयोग का विस्तार करेगा।

ऐतिहासिक विमानन सौदे: 200 से अधिक अमेरिकी निर्मित विमानों की खरीद के लिए बोइंग के साथ एयर इंडिया का ऐतिहासिक समझौता, जो फरवरी 2023 में घोषित हुआ था, 44 राज्यों में एक मिलियन से अधिक अमेरिकी नौकरियों का समर्थन करेगा और भारतीय नागरिक उड्डयन क्षेत्र के आधुनिकीकरण में योगदान देगा, जो दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ते विमानन क्षेत्रों में से एक है। बोइंग ने भारत में पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए बुनियादी सुविधाओं और कार्यक्रमों में 100 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की है, जो अगले 20 वर्षों में भारत में 31,000 नए पायलटों की आवश्यकता को पूरा करेगा। इसके अतिरिक्त, बोइंग ने भारत में सी-17 आफ्टरमार्केट सपोर्ट केंद्र और एक नए कलपुर्जा आपूर्ति केंद्र के निर्माण का काम पूरा कर लिया है जो देश को विमानन रखरखाव का क्षेत्रीय हब बनने में सक्षम बनाएंगे।

विश्वास के आधार पर व्यापारिक विवादों का हल: अमेरिका और भारत ने व्यापार संबंधों सहित अपने आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने और द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करने की दिशा में भी कदम उठाए हैं। व्यापार संबंधी विवादों को हल करने की दोनों देशों की इच्छा और विश्वास पर ज़ोर देते हुए, दोनों नेताओं ने पारस्परिक सहमति द्वारा दोनों देशों के बीच छह बकाया डब्ल्यूटीओ विवादों को निपटाए जाने, साथ ही द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के लिए महत्वपूर्ण कुछ उत्पादों को बाज़ार उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सहमति बनने का स्वागत किया।

  1. वैश्विक मंच पर नेतृत्व:

हिंद-प्रशांत: अमेरिका इंडो-पैसिफ़िक ओशंस इनिशिएटिव में शामिल होगा। यह एक क्षेत्रीय पहल है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में एक सुरक्षित, संरक्षित और स्थिर समुद्री क्षेत्र और इसके संरक्षण एवं धारणीय उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किया था। भारत एक पर्यवेक्षक के रूप में पार्टनर्स इन ब्लू पैसिफ़िक में भाग लेना जारी रखेगा।

हिंद महासागर: अमेरिका और भारत हिंद महासागर संवाद आयोजित करेंगे, जिसमें अधिक क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी और भारतीय अधिकारी, हिंद महासागर क्षेत्र के विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ भागीदारी करेंगे।

वैश्विक सहयोग: ग्लोबल इश्यूज़ फ़ोरम के दिसंबर 2022 में रीलॉन्च का स्वागत करते हुए, अमेरिका और भारत ने इस साल फ़ोरम की एक और बैठक के आयोजन का इरादा जताया है, ताकि मानव तस्करी, खाद्य असुरक्षा और मानवीय आपदा राहत जैसी वैश्विक चुनौतियों पर परस्पर सहयोग किया जा सके।

वैश्विक शासन में भारत की भूमिका को बढ़ाना: अमेरिका ने विस्तारित यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया है, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी में भारतीय सदस्यता के लिए समर्थन की घोषणा की है, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारतीय सदस्यता की हिमायत करने की प्रतिबद्धता को पुनर्व्यक्त किया है, और राष्ट्रपति बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी को नवंबर 2023 में सैन फ्रांसिस्को में एपेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है ।

डिजिटल साझेदारी: अमेरिका और भारत यूएस-इंडिया ग्लोबल डिजिटल डेवलपमेंट पार्टनरशिप विकसित करेंगे जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विकास संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए दोनों देशों की प्रौद्योगिकियों और संसाधनों को एक साथ लाएगी।

“त्रिकोणीय” सहयोग साझेदारी: अंतरराष्ट्रीय विकास की अमेरिकी एजेंसी और भारतीय विदेश मंत्रालय 2023 की तीसरी तिमाही में भारत में फिजी के चिकित्सा विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं ताकि उनके साथ आपदा के बाद की मनोसामाजिक स्थिति और और टेलीमेडिसिन सेवाओं पर ज्ञान और सर्वोत्तम तौर-तरीकों की जानकारी साझा की जा सके।

  1. सतत विकास और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए साझेदारी:

ऊर्जा सहयोग: भारत और अमेरिका भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और अमेरिका के हाइड्रोजन अर्थ शॉट के तहत अपने राष्ट्रीय जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे। अमेरिका 2030 तक वैश्विक स्तर पर किफ़ायती नवीकरणीय ऊर्जा और कम कार्बन उपयोग वाला हाइड्रोजन ईंधन उपलब्ध कराने के लिए बहुपक्षीय हाइड्रोजन ब्रेकथ्रू एजेंडे का सह-नेतृत्व करने के भारत के फ़ैसले का स्वागत करता है।

अमेरिका के स्वच्छ ऊर्जा बुनियादी ढांचे में निवेश: भारत की वीएसके एनर्जी एलएलसी अमेरिका में एक नया, एकीकृत चरणों वाला सौर पैनल विनिर्माण तंत्र विकसित करने के लिए 1.5 बिलियन डॉलर तक का निवेश करेगी, जिसमें कोलोराडो में 2.0 गीगावॉट मॉड्यूल-और-सेल विनिर्माण संयंत्र का निर्माण शामिल है। और, भारत की जेएसडब्ल्यू स्टील यूएसए ने अपतटीय पवन इकाइयों की बाज़ार मांग की बेहतर पूर्ति के लिए अपने मिंगो जंक्शन, ओहायो स्थित इस्पात संयंत्र में 120 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की।

हरित प्रौद्योगिकी के लिए निवेश मंच: भारत और अमेरिका एक नवीन निवेश मंच बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो पूंजी की लागत को कम करेगा और भारत में नवीकरणीय ऊर्जा, बैटरी भंडारण और उभरती हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय निजी निवेश को आकर्षित करेगा। यह अपनी तरह का पहला मंच ऐसी परियोजनाओं के लिए उत्प्रेरक पूंजी उपलब्ध कराने और निवेश को जोखिम-रहित बनाने के लिए अरबों डॉलर वाला फ़ंड स्थापित करेगा।

हमारे परिवहन क्षेत्र को कार्बनमुक्त करना: यूएसएआईडी ने 2030 तक भारतीय रेलवे के “नेट-ज़ीरो” कार्बन उत्सर्जक बनने के लक्ष्य पर मिलकर काम करने के लिए रेल मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। अमेरिका और भारत ने एक भुगतान सुरक्षा तंत्र बनाने की योजना भी घोषित की है। यह भारत में 10,000 भारत-निर्मित इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन को संभव बनाएगा, जिससे ग्रीनहाउस गैसों को उत्सर्जन को कम करने, सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र में सुधार करने और वैश्विक सप्लाई चेन में विविधता लाने के भारत के गंभीर प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।

जैव ईंधन पहल: भारत द्वारा स्थापित वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, अमेरिका जिसका संस्थापक सदस्य है, जैव ईंधन का उपयोग बढ़ाने की दिशा में सहयोग को सुगम बनाएगी।

आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचा शिक्षा पहल गठबंधन: यूएसएआईडी ने आपदा प्रतिरोधी वास्तुकला पर शिक्षा, अनुसंधान के अवसर प्रदान करने और पेशेवर कुशलता के विकास में योगदान करने तथा शैक्षणिक संस्थानों का एक वैश्विक नेटवर्क विकसित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर रेज़िलिएंस एकेडमिक एक्सचेंज (आईआरएएक्स) स्थापित करने हेतु 5 मिलियन डॉलर तक की प्रतिबद्धता जताई है। आईआरएएक्स दुनिया भर में अमेरिकी और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच नई साझेदारियों का समर्थन करेगा।

कैंसर और मधुमेह के खिलाफ़ लड़ाई में तेज़ी लाना: अमेरिकी राष्ट्रीय कैंसर संस्थान कृत्रिम-बुद्धि (एआई) सक्षम डिजिटल पैथोलॉजी प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने के लिए दो नए अनुदानों के माध्यम से अमेरिकी और भारतीय वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा। इस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कैंसर का पता लगाने, उसकी गंभीरता का आकलन करने और उपचार के असर की भविष्यवाणी करने के साथ-साथ गर्भाशय ग्रीवा, सिर और गर्दन के कैंसर हेतु एआई-आधारित स्वचालित रेडियोथेरेपी उपचार के लिए किया जाएगा। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायबिटीज़ एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ेज़, मधुमेह पर बुनियादी, नैदानिक और ट्रांसलेशनल शोध को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ एक समझौते पर भी हस्ताक्षर करेगा। कैंसर के खिलाफ़ प्रगति में तेज़ी लाने के उद्देश्य से सहयोग के ठोस क्षेत्रों की पहचान करने हेतु दोनों देशों के विशेषज्ञों को साथ लाने के लिए अमेरिका और भारत राष्ट्रपति बाइडेन के कैंसर मूनशॉट पहल के तहत अमेरिका-भारत कैंसर संवाद आयोजित करेंगे।

नशीली दवाओं के खिलाफ़ सहयोग: अमेरिका और भारत सिंथेटिक नशील दवाओं, फेंटेनाइल और उसके अवयवों के अवैध उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय तस्करी को बाधित करने के लिए एक व्यापक और गहन द्विपक्षीय मादक पदार्थ निरोधक ढांचा विकसित कर रहे हैं। दोनों देश एक आदर्श मॉडल के रूप में दुनिया के समक्ष एक सुरक्षित, सुदृढ़, विश्वसनीय और विकासमान दवाई सप्लाई चेन प्रस्तुत करेंगे।


मूल स्रोत: https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2023/06/22/fact-sheet-republic-of-india-official-state-visit-to-the-united-states/

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।

U.S. Department of State

The Lessons of 1989: Freedom and Our Future