व्हाइट हाउस
मार्च 26, 2022
वॉरसा कैसल
वॉरसा, पोलैंड
6:16 अपराह्न सीईटी
राष्ट्रपति: धन्यवाद, आपका धन्यवाद। कृपया, यदि आपके पास सीट है, तो बैठ जाइए। (हंसी।) यदि सीट नहीं है, तो मंच पर आ जाइए।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यहां मौजूद होना बड़े सम्मान की बात है। राष्ट्रपति महोदय, मुझे बताया गया है कि आप वहां कहीं हैं। वो दिख गए। धन्यवाद, राष्ट्रपति महोदय।
“डरो मत।” ये 1978 के अक्टूबर में चुने जाने के बाद पहले पोलिश पोप के पहले सार्वजनिक संबोधन के आरंभिक शब्द थे। ये वे शब्द थे जिन्होंने आगे पोप जॉन पॉल द्वितीय को परिभाषित किया। वे शब्द जिन्होंने आगे दुनिया को बदल दिया।
जॉन पॉल 1979 के जून में पोप के रूप में अपनी पहली स्वदेश यात्रा के दौरान यहां इस संदेश को लेकर आए थे। यह संदेश आस्था की शक्ति, दृढ़ता की शक्ति, और जनशक्ति के बारे में था।
सरकार की क्रूर और बर्बर व्यवस्था के सामने, यह एक ऐसा संदेश था जिसने 30 साल पहले मध्य और पूर्वी यूरोप में सोवियत दमन का अंत करने में मदद की। यह एक ऐसा संदेश है जो इस अन्यायपूर्ण युद्ध की क्रूरता और बर्बरता को समाप्त करेगा।
1979 में जब पोप जॉन पॉल इस संदेश को लेकर आए, तो सोवियत संघ एक लौह आवरण के पीछे निर्ममतापूर्वक शासन कर रहा था।
फिर एक साल बाद पोलैंड में सॉलिडरिटी आंदोलन ने ज़ोर पकड़ लिया। और वह आज रात यहां हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अमेरिका और दुनिया भर में हम सभी लेक वालेसा के आभारी हैं। (तालियां।)
इससे मुझे दार्शनिक किर्कगार्ड की बात का स्मरण होता है: “आस्था बुरे वक़्त में सर्वाधिक सहारा देती है।” और वो बुरा वक़्त था।
दस साल बाद, सोवियत संघ का पतन हो गया, और पोलैंड तथा मध्य एवं पूर्वी यूरोप जल्दी ही आज़ाद हो गए। आज़ादी की उस लड़ाई में कुछ भी सरल या आसान नहीं था। यह एक लंबा, कष्टपूर्ण और कठिन संघर्ष था जो दिनों और महीनों नहीं, बल्कि वर्षों और दशकों तक लड़ा गया।
लेकिन हम आज़ादी की उस महान लड़ाई — जो लोकतंत्र और निरंकुश शासन के बीच, स्वतंत्रता और दमन के बीच, नियम आधारित व्यवस्था और पाशविक बल के शासन के बीच की लड़ाई थी — में नए सिरे से उभरकर निकले।
इस लड़ाई को लेकर हमें स्पष्ट राय रखने की ज़रूरत है। यह लड़ाई दिनों या महीनों में नहीं जीती जाएगी। आगे की लंबी लड़ाई के लिए हमें खुद को मज़बूत करने की ज़रूरत है।
राष्ट्रपति महोदय, प्रधानमंत्री महोदय, मेयर महोदय, सांसदगण, विशिष्ट अतिथिगण, और पोलैंड के लोगों, और मैं समझता हूं यूक्रेन के कुछ लोग भी यहां हैं: (तालियां) हम यहां इस शहर के रॉयल कैसल में एकत्र हुए हैं, जिसका न केवल यूरोप के इतिहास में बल्कि मानव जाति की स्वतंत्रता की शाश्वत चाहत के संदर्भ में एक पवित्र स्थान है।
पीढ़ियों से, वॉरसा ने स्वतंत्रता को चुनौती देने वालों का सामना किया है, और स्वतंत्रता की जीत हुई है।
वास्तव में, यह वॉरसा ही था जहां एक शरणार्थी युवती, जो सोवियत शासन के अधीनस्थ अपने देश चेकोस्लोवाकिया से भागकर आई थी, असंतुष्टों के साथ एकजुट खड़ा होने और आवाज़ उठाने के लिए।
उनका नाम मेडलिन कोरबेल अलब्राइट था। (तालियां) वह दुनिया में लोकतंत्र की सबसे प्रबल समर्थकों में से एक बन गईं। वह एक मित्र थीं जिनके साथ मैंने काम किया। अमेरिका की पहली महिला विदेश मंत्री। तीन दिन पहले उनका निधन हो गया।
उन्होंने अनिवार्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। और अब, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए सतत संघर्ष में, यूक्रेन और यूक्रेनी लोग अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं।
और उनका साहसिक प्रतिरोध सभी स्वतंत्र लोगों को एकजुट करने वाले अनिवार्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों — क़ानून का शासन; स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव; बोलने, लिखने और सभा करने की स्वतंत्रता; अपनी इच्छानुसार उपासना की स्वतंत्रता; प्रेस की आज़ादी — के लिए जारी एक बड़ी लड़ाई का हिस्सा है।
मुक्त समाज के लिए ये सिद्धांत अनिवार्य हैं। (तालियां।) लेकिन ये हमेशा से ख़तरे में रहे हैं। ये हमेशा से संघर्ष के केंद्र में रहे हैं। हर पीढ़ी को लोकतंत्र के नश्वर दुश्मनों को हराना पड़ा है। दुनिया में ऐसा ही होता रहा है — क्योंकि जैसा कि हम जानते हैं, दुनिया अपरिपूर्ण है। यहां हमेशा से कुछ लोगों की लोलुपता और महत्वाकांक्षाएं दूसरों के जीवन और स्वतंत्रता पर हावी होने के लिए तत्पर रही हैं।
यूक्रेन के लोगों के लिए मेरा संदेश वही है जो मैंने आज यूक्रेन के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री को दिया, जो मैं समझता हूं कि आज रात यहां हमारे बीच मौजूद हैं: हम आपके साथ खड़े हैं। बेशक। (तालियां।)
कीएव, मारियुपोल और खार्किव में आज की लड़ाई एक लंबे संघर्ष — हंगरी, 1956; पोलैंड, 1956 और 1981; चेकोस्लोवाकिया, 1968 — की कड़ी में नवीनतम है।
सोवियत टैंकों ने लोकतांत्रिक विद्रोहों को कुचल दिया था, लेकिन प्रतिरोध जारी रहा, जब अंततः 1989 में बर्लिन की दीवार और सोवियत वर्चस्व की सभी दीवारें गिर गईं। और जनता की जीत हुई। (तालियां।)
लेकिन लोकतंत्र की लड़ाई समाप्त नहीं हो सकी और शीतयुद्ध ख़त्म होने के साथ उसका अंत नहीं हुआ।
पिछले 30 वर्षों में, पूरी दुनिया में तानाशाही ताक़तें फिर से सक्रिय हुई हैं। इनकी विशेषताएं जानी-पहचानी हैं: क़ानून के शासन के प्रति अवमानना का भाव, लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की अवहेलना, सत्य का तिरस्कार।
आज, रूस ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है — न केवल अपनी मातृभूमि में, बल्कि अन्य जगहों में भी ऐसा करने की कोशिश की है। जातीय एकजुटता के झूठे दावों के तहत, उसने पड़ोसी देशों पर हमले किए हैं।
पुतिन बेशर्मी से कह रहे हैं कि वह यूक्रेन का “विनाज़ीकरण” कर रहे हैं। यह झूठ है। यह दोष मढ़ने की प्रवृति है। उन्हें पता है। और यह घृणित भी है।
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की लोकतांत्रिक रूप से चुने गए हैं। वह यहूदी हैं। नाज़ी होलोकॉस्ट में उनके पिता के परिवार का सफाया कर दिया गया था। और पुतिन में, अतीत के तानाशाहों की तरह, यह मानने का दुस्साहस है कि ताक़त की ही चलेगी।
मेरे अपने देश में, पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने गृहयुद्ध के बीच हमारे संघ को बचाने के लिए विरोधी भाव को स्वर दिया था। उन्होंने कहा था, “आइए हम इस बात पर भरोसा करें कि न्यायोचित से शक्ति आती है।” “न्यायोचित में ताक़त है।” (तालियां।)
आइए आज हम फिर से उस भरोसे में यक़ीन करें। आइए हम निरंकुशता के मंसूबों को नाकाम करने के लिए लोकतंत्र की ताकत को अमल में लाने का संकल्प लें। आइए याद रखें कि परीक्षा की ये घड़ी सर्वकालिक परीक्षा है।
क्रेमलिन नैटो के विस्तार को रूस को अस्थिर करने के उद्देश्य से रचित एक साम्राज्यवादी परियोजना के रूप में चित्रित करना चाहता है। इससे बड़ा असत्य और कुछ नहीं हो सकता। नैटो एक रक्षात्मक गठबंधन है। यह कभी रूस के पराभव के उद्देश्य से नहीं चला।
वर्तमान संकट से पहले, अमेरिका और नैटो ने युद्ध टालने पर रूस को सहमत करने हेतु महीनों तक काम किया। मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से मिला और कई बार फ़ोन पर बात की।
बारंबार हमने यूरोपीय सुरक्षा को मज़बूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने और सभी पक्षों में परस्पर विश्वास बढ़ाने के लिए वास्तविक कूटनीति और ठोस प्रस्तावों की पेशकश की।
लेकिन पुतिन और रूस ने प्रत्येक प्रस्ताव का जवाब बातचीत की अनिच्छा, झूठ और अल्टीमेटम से दिया। रूस शुरू से ही हिंसा पर आमादा था।
मुझे पता है कि आपमें से कइयों ने मुझ पर और हम पर विश्वास नहीं किया था जब हम कह रहे थे, “वे सीमा का अतिक्रमण करने जा रहे हैं। वे हमला करने जा रहे हैं।”
बार-बार, पुतिन ने ज़ोर देकर कहा, “हमें युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है।” गारंटी दी कि वह हमला नहीं करेंगे।
बार-बार कहते रहे कि वह यूक्रेन पर आक्रमण नहीं करेंगे।
बार-बार यही कहा कि सीमा पर रूसी सैनिक “ट्रेनिंग” के लिए हैं — सभी 180,000 सैनिक।
रूस के मर्ज़ी के इसे युद्ध का कोई औचित्य नहीं है या उसके लिए कोई उकसावा नहीं था। यह सबसे पुराने मानवीय आवेगों में से एक का उदाहरण है: पूर्ण सत्ता और नियंत्रण की लालसा को संतुष्ट करने के लिए पाशविक बल और दुष्प्रचार का उपयोग करना।
यह द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से स्थापित नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए एक सीधी चुनौती से कम नहीं है।
और इससे दशकों तक चलने वाले युद्ध के दौर में वापसी का ख़तरा है जिसने अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था की स्थापना से पहले यूरोप को तबाह कर दिया था। हम उस दौर में वापस नहीं जा सकते। हम ऐसा नहीं कर सकते।
ख़तरे की गंभीरता के कारण ही पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया इतनी तेज़ और इतनी शक्तिशाली और इतनी एकजुट, अभूतपूर्व और ज़बरदस्त रही है।
त्वरति और दंडात्मक क़ीमत थोपने जैसे क़दम ही रूस को अपना रास्ता बदलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
रूसी हमले के कुछ दिनों के भीतर ही, पश्चिमी जगत रूस की अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाने वाले प्रतिबंधों के साथ संयुक्त रूप से आगे बढ़ चुका था।
रूस के केंद्रीय बैंक को अब वैश्विक वित्तीय प्रणालियों से काटकर क्रेमलिन को दुनिया भर में जमा किए गए उसके युद्धकोष से वंचित कर दिया गया है।
हमने अमेरिका में रूसी ऊर्जा के आयात को रोककर रूसी अर्थव्यवस्था की बुनियाद को निशाना बनाया है।
अभी तक, अमेरिका ने रूस के 140 रसूखदार लोगों और उनके परिजनों पर प्रतिबंध लगाते हुए उनकी अवैध कमाई को ज़ब्त कर चुका है: उनकी नौकाएं, उनके आलीशान अपार्टमेंट, उनकी हवेलियां।
हमने इस युद्ध के प्रमुख योजनाकारों सहित, 400 से अधिक रूसी सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
क्रेमलिन से जुड़े भ्रष्टाचार से इन अधिकारियों और रसूखदार लोगों ने भारी लाभ उठाया है, और अब उन्हें पीड़ा में भी भागीदारी करनी होगी।
निजी क्षेत्र भी अपना काम कर रहा है। 400 से अधिक निजी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने रूस में कारोबार करना छोड़ दिया है – ये रूस से पूरी तरह निकल गए हैं – तेल कंपनियों से लेकर मैकडोनल्ड्स तक।
इन अभूतपूर्व प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप, रूबल का तुरंत कचूमर निकल गया। रूसी अर्थव्यवस्था – (तालियां) – वैसे, यह सच है। एक डॉलर की बराबरी करने में लगभग 200 रूबल लगते हैं।
आने वाले वर्षों में रूसी अर्थव्यवस्था सिकुड़कर आधे आकार की रह जाने की राह पर है। इस आक्रमण से पहले रूस की अर्थव्यवस्था दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। वह जल्दी ही दुनिया के शीर्ष 20 में भी नहीं रह जाएगी। (तालियां।)
सबकुछ मिलाकर देखा जाए, तो ये आर्थिक प्रतिबंध एक नए प्रकार की आर्थिक शासन कला को दर्शाते हैं, जो सैन्य ताक़त के समान नुक़सान पहुंचाने की क्षमता रखती है।
ये अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध रूस की ताक़त, सेना को रसद की आपूर्ति करते रहने की उसकी क्षमता और ताक़त प्रदर्शित करने की उसकी क्षमता को ख़त्म कर रहे हैं। और इसके लिए व्लादिमीर पुतिन ज़िम्मेदार हैं, बस वही।
साथ ही, इन आर्थिक प्रतिबंधों के साथ, पश्चिमी जगत यूक्रेन के लोगों को अविश्वसनीय स्तर की सैन्य, आर्थिक और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए एकजुट हुआ है।
यह हमला किए जाने से पूर्व के वर्षों में, उनके सीमा लांघने से पहले, हमने, अमेरिका ने, यूक्रेन को 650 मिलियन डॉलर से अधिक के हथियार भेजे थे, जिनमें विमानरोधी और बख़्तरबंद वाहन रोधी हथियार शामिल थे।
इस आक्रमण के बाद से, अमेरिका ने हथियारों और गोला-बारूद के लिए अतिरिक्त 1.35 बिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है।
और यूक्रेनी लोगों के साहस और बहादुरी के कारण, (तालियां) हमने और हमारे सहयोगियों ने जो साज़ोसामान भेजे हैं उनका यूक्रेनी भूमि और हवाई क्षेत्र की रक्षा के लिए घातक उपयोग किया गया है। हमारे सहयोगी देशों और साझेदारों ने भी समर्थन बढ़ा दिया है।
लेकिन जैसा कि मैंने स्पष्ट किया है: अमेरिकी सेनाएं यूरोप में हैं – यूरोप में रूसी सेना के साथ संघर्ष में शामिल होने के लिए नहीं। अमेरिकी सेनाएं यहां नैटो सहयोगियों की रक्षा के लिए हैं।
कल, मैं उन सैनिकों से मिला जो हमारे पोलिश सहयोगियों के साथ नैटो की अग्रिम पंक्ति की सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए काम कर रहे हैं। यूक्रेन में रूस की गतिविधियों के संदर्भ में हम स्पष्ट करना चाहते हैं: नैटो क्षेत्र के एक इंच पर भी क़दम रखने के बारे में मत सोचना।
हमारा एक पावन दायित्व है – (तालियां) अनुच्छेद 5 के तहत अपनी सामूहिक क्षमता के पूरे ज़ोर के साथ नैटो क्षेत्र के प्रत्येक इंच की रक्षा का पावन दायित्व।
और आज ही, मैंने आपके नेशनल स्टेडियम का दौरा किया, जहां हज़ारों यूक्रेनी शरणार्थी अब इंसान के सामने मौजूद सबसे कठिन सवालों के जवाब ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं: “हे भगवान, मेरा क्या होगा? मेरे परिवार का क्या होगा?”
मैंने कई माताओं की आंखों में आंसू देखे जब मैंने उन्हें गले लगाया; उनके छोटे-छोटे बच्चों को समझ नहीं आता कि वे मुस्कुराएं या रोएं। एक छोटी लड़की ने कहा, “मिस्टर प्रेसिडेंट” – उसने टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में कहा – “क्या मेरे भाई और मेरे पिता सही-सलामत रहेंगे? क्या मैं उन्हें फिर से देख पाऊंगी?” ये लोग अपने पति के बिना, पिता के बिना, और कई मामलों में अपने भाई-बहनों के बिना हैं, जो अपने देश के लिए लड़ने के लिए वहीं रुक गए हैं।
मुझे उनकी आंखों के भावों को महसूस करने के लिए उनकी भाषा बोलने या समझने की ज़रूरत नहीं थी, जिस तरह से उन्होंने मेरा हाथ थामा, और छोटे बच्चे मेरे पैर से लिपटे, इस क्षीण उम्मीद के साथ प्रार्थना करते हुए कि ये संकट अस्थायी है; इस आशंका में कि उन्हें शायद हमेशा के लिए अपने घरों से दूर रहना पड़े, एक भयावह उदासी के साथ कि ये सब फिर से हो रहा है।
लेकिन मैं वॉरसा के लोगों की उदारता से भी प्रभावित हुआ – दरअसल संपूर्ण पोलिश आबादी की उदारता – उनकी अथाह करुणा के लिए, मदद करने की उनकी इच्छा के लिए, (तालियां) उनके दिल खोलकर रख देने के लिए।
मैंने मेयर का आभार जताया कि उन्होंने मदद के लिए अपने दिल और घर के दरवाज़े खोल दिए हैं। मैं अपने दोस्त, महान अमेरिकी शेफ़ होज़े आंद्रेस और उनकी टीम को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने उन लोगों का पेट भरने में मदद की, (तालियां) जोकि मुक्त रहने के लिए तड़प रहे हैं।
लेकिन इन शरणार्थियों की मदद करना अकेल पोलैंड या किसी अन्य देश की ज़िम्मेदारी नहीं होनी चाहिए। मदद करना संपूर्ण विश्व के लोकतंत्रों की ज़िम्मेदारी है। उन सभी की। और यूक्रेन के लोग अमेरिका से अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का भरोसा कर सकते हैं।
मैंने घोषणा की है, दो दिन पहले, कि हम 100,000 यूक्रेनी शरणार्थियों को शरण देंगे। हमारे यहां, अमेरिका में पहले से ही प्रति सप्ताह अन्य राष्ट्रीयताओं के 8,000 लोग आ रहे हैं।
हम लगभग 300 मिलियन डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान करेंगे, जिससे दसियों हज़ार टन भोजन, पानी, दवा और अन्य बुनियादी सामग्री शामिल होंगे।
ब्रसेल्स में, मैंने घोषणा की कि अमेरिका 1 बिलियन डॉलर से अधिक की अतिरिक्त मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हमें बताया कि गंभीर बाधाओं के बावजूद, यूक्रेन के प्रमुख शहरों में कम से कम थोड़ी राहत सामग्री पहुंच रही है, लेकिन मारियुपोल में नहीं, क्योंकि रूसी सेना वहां राहत आपूर्ति को रोक रही है।
लेकिन हम यूक्रेन में जहां भी ज़रूरत है वहां लोगों तक, और जो यूक्रेन से बाहर निकल चुके हैं, उन सभी तक मानवीय राहत पहुंचाने के अपने प्रयासों को जारी रखेंगे।
व्लादिमीर पुतिन की क्रूरता के बावजूद, इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह युद्ध पहले ही रूस के लिए एक सामरिक नाकामी साबित हो चुका है। (तालियां।) खुद के बच्चों को खो चुकने के कारण – मैं जानता हूं कि यह उन लोगों के लिए पर्याप्त सांत्वना नहीं है, जिन्होंने अपने परिवार खो दिए हैं।
लेकिन पुतिन ने सोचा था कि यूक्रेनी परास्त हो जाएंगे और लड़ेंगे नहीं। वह इतिहास के अच्छे छात्र नहीं रहे होंगे। इसके बजाय, रूसी सेना को बराबर की टक्कर मिली है, बहादुर और दृढ़ यूक्रेनी प्रतिरोध के ज़रिए।
यूक्रेन के संकल्प को तोड़ने के बजाय, रूस की बर्बर रणनीति ने उनके संकल्प को मज़बूत किया है। (तालियां।)
नैटो को अलग करने के बजाय, पश्चिमी जगत अब पहले से कहीं अधिक मज़बूत और एकजुट है। (तालियां।)
रूस अपनी सीमा पर नैटो की कम उपस्थिति चाहता था, लेकिन अब हमारी एक मज़बूत उपस्थिति है, एक बड़ी उपस्थिति है, यहां नैटो के अन्य सभी सदस्यों के साथ एक लाख से अधिक अमेरिकी सैनिक हैं।
वास्तव में, (तालियां) रूस ने कुछ ऐसा करने में कामयाबी हासिल की है जिसका मुझे नहीं लगता कि उसने कभी इरादा किया था: महीनों के भीतर दुनिया के लोकतंत्र अपने उद्देश्य और एकता के साथ नवजीवन पा रहे हैं, जिन्हें पाने में हमें कभी वर्षों लग जाते थे।
यह केवल यूक्रेन में रूस की कार्रवाई नहीं है जो हमें लोकतंत्र के फ़ायदों की याद दिला रही है। यह उनका अपना देश, क्रेमलिन, है जो प्रदर्शनकारियों को जेल में डाल रहा है। कथित तौर पर दो लाख लोग पहले ही देश से निकल चुके हैं। प्रतिभा पलायन हो रहा है, वे रूस छोड़ रहे हैं। वहां स्वतंत्र समाचार स्रोत बंद किए जा रहे हैं। सरकारी मीडिया में सिर्फ प्रोपेगंडा है — यूक्रेन में असैन्य निशानों, सामूहिक क़ब्रों और भुखमरी थोपने की रूसी सेना की रणनीति से जुड़ी छवियों को अवरुद्ध किया जा रहा है।
इसमें कैसा आश्चर्य, जैसा कि मैंने कहा, कि महीने भर में 200,000 रूसियों ने अपना देश छोड़ दिया है? इतने कम समय में इतना व्यापक प्रतिभा पलायन, और ये मुझे रूसी लोगों के लिए अपने संदेश पर लाता है:
मैंने दशकों तक रूसी नेताओं के साथ काम किया है। बहुत पहले से, जब शीतयुद्ध के चरम दौर में हथियार नियंत्रण के मुद्दे पर बातचीत के लिए मैंने सोवियत प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसिजिन के साथ बैठक की थी।
रूस के लोगों, मैंने हमेशा बेबाकी और ईमानदारी से आपसे बात की है।
मैं कहना चाहूंगा, यदि आप सुन सकते हैं: आप, रूसी लोग, हमारे दुश्मन नहीं हैं।
मैं यह मान नहीं सकता कि आप निर्दोष बच्चों और बुज़ुर्गों की हत्या किए जाने का समर्थन करते हैं या, भगवान के लिए, आप अस्पतालों, स्कूलों, प्रसूति वार्डों को रूसी मिसाइलों और बमों से ध्वस्त किए जाने को स्वीकार करते हैं; या नागरिकों को बचकर नहीं जाने देने के लिए शहरों की घेराबंदी किए जाने को; आपूर्ति रोके जाने और भुखमरी के ज़रिए यूक्रेनियों को हार मानने के लिए बाध्य किए जाने के प्रयास को।
लाखों परिवारों को उनके घरों से विस्थापित किया रहा है, जिनमें यूक्रेन के बच्चों की कुल आबादी की आधी संख्या भी शामिल है। ये किसी महान राष्ट्र के कार्य नहीं हो सकते।
सबसे अधिक आप रूसी लोगों को, साथ ही पूरे यूरोप के सभी लोगों को, अभी भी तीस और चालीस के दशक के अंत में बनी ऐसी ही स्थिति की याद होगी, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध की स्थितियों की याद अभी भी क्षेत्र के अनेक बुज़ुर्गों के मन में ताज़ा है।
आपकी पीढ़ी ने जो कुछ भी अनुभव किया — चाहे लेनिनग्राद की घेराबंदी का अनुभव किया हो या इसके बारे में अपने माता-पिता और दादा-दादी से सुना हो — घरों से विस्थापित भयभीत परिवारों से भरे रेलवे स्टेशन; तहखानों और तलघरों में रातें बिताना; अपने घरों में मलबे के बीच सुबह आंखें खोलना; ये अतीत की यादें नहीं हैं। ये सब अतीत की बातें नहीं रह गई हैं। क्योंकि यूक्रेन में इस समय रूसी सेना यही सब कर रही है।
आज 26 मार्च 2022 है। कुछ दिन पहले तक आप 21वीं सदी के राष्ट्र थे जिनके पास वही उम्मीदें थीं और सपने थे, जो दुनिया भर के लोगों के पास अपने और अपने परिवार के लिए हैं।
अब, व्लादिमीर पुतिन की आक्रामकता ने आपको, रूसी लोगों को, बाक़ी दुनिया से अलग कर दिया है, और यह रूस को 19वीं शताब्दी में वापस ले जा रही है।
यह आपकी पहचान नहीं है। यह वो भविष्य नहीं है जिसका कि आपको अपने परिवार और अपने बच्चों के लिए हक़ है। मैं आपसे सच कह रहा हूं: यह युद्ध आपके, आप रूसी लोगों के अनुरूप नहीं है।
पुतिन इस युद्ध को खत्म कर सकते हैं और करना भी चाहिए। अमेरिकी लोग आपके साथ और यूक्रेन के उन बहादुर नागरिकों के साथ खड़े हैं जो शांति चाहते हैं।
और शेष यूरोप के लिए मेरा संदेश: स्वतंत्रता की इस नई लड़ाई ने पहले ही कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट कर दी है।
सबसे पहले, यूरोप को रूसी जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता ख़त्म करनी होगी। और हम, अमेरिका, इसमें मदद करेंगे। (तालियां।) इसीलिए अभी कल ही, ब्रसेल्स में, मैंने यूरोप को ऊर्जा संकट से तत्काल उबारने के लिए यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के साथ एक योजना की घोषणा की है।
दीर्घावधि में, आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और धरती की उत्तरजीविता के लिए, हम सभी को स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लिए यथासंभव शीघ्रता से आगे बढ़ने की ज़रूरत है। और हम इसे पूरा करने के लिए मिलकर काम करेंगे ताकि किसी भी राष्ट्र को अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए एक अत्याचारी की सनक पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं रह जाए। ये ख़त्म होनी चाहिए। इसे ख़त्म करना होगा।
और दूसरी बात, हमें रूसी लोगों को उचित अवसर उपलब्ध कराने के लिए क्रेमलिन के भ्रष्टाचार से लड़ना होगा।
और अंत में, और तत्काल सबसे ज़रूरी बात, हमें विश्व के लोकतंत्रों के बीच पूर्ण एकता बनाए रखनी होगी।
लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और स्वाधीनता जैसे उदात्त भाव वाले शब्दों के साथ, अलंकारिक शैली में भाषण देना भर पर्याप्त नहीं है। यहां पोलैंड के लोगों समेत हम सभी को लोकतंत्र के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करनी होगी। मेरे देश को भी।
इसीलिए, (तालियां) मैं इस सप्ताह फिर से यूरोप आया — नैटो के लिए, जी7 के लिए, यूरोपीय संघ के लिए, सभी स्वतंत्रताप्रेमी राष्ट्रों के लिए एक स्पष्ट और दृढ़ संदेश के साथ: हमें लंबे समय तक ये लड़ाई लड़ने का संकल्प लेना होगा। हमें आज और कल और परसों और आने वाले वर्षों और दशकों तक एकजुट रहना होगा। (तालियां।)
यह आसान नहीं होगा। इससे जुड़ी क़ीमत होगी। लेकिन हमें ये क़ीमत चुकानी पड़ेगी। क्योंकि तानाशाही को पोषित करने वाला अंधेरा अंततः स्वतंत्रता की लौ के आगे टिक नहीं पाता है, जोकि हर जगह स्वतंत्र लोगों की आत्मा को रोशन करती है।
बारंबार, इतिहास गवाही देता है कि सबसे अंधकारमय क्षण ही महानतम प्रगति को जन्म देते हैं। और इतिहास बताता है कि यह हमारे दौर का काम है, इस पीढ़ी की ज़िम्मेदारी है।
ये बात याद रखनी चाहिए: बर्लिन की दीवार को गिराने वाले हथौड़े की चोट, लौह आवरण को उठाने वाली ताक़त किसी एक नेता के शब्द नहीं थे; ये यूरोप के लोग थे, जिन्होंने कि दशकों तक खुद को मुक्त करने के लिए संघर्ष किया।
उनकी अप्रतिम बहादुरी ने अखिल यूरोपीय प्रदर्शनों के लिए ऑस्ट्रिया और हंगरी के बीच की सीमा खोल दी। उन्होंने बाल्टिक मानव श्रृंखला के लिए परस्पर हाथ मिलाया। वे यहां पोलैंड में सॉलिडिरिटी आंदोलन के लिए खड़े हुए। और यह लोगों की एकजुटता से बनी एक अचूक और निर्विवाद शक्ति थी जिसका सोवियत संघ सामना नहीं कर सका।
और हम आज एक बार फिर इसके गवाह बने हैं, जब बहादुर यूक्रेनी साबित कर रहे हैं कि उनकी एकजुटता की शक्ति किसी एक तानाशाह की इच्छा से अधिक बलवती है। (तालियां।)
इसलिए, इस घड़ी में, पोप जॉन पॉल के शब्दों को आज फिर से गूंजने दें: “कभी भी आशा नहीं छोड़ो, कभी संदेह नहीं करो, कभी थको नहीं, कभी निराश नहीं हो। डरो मत।” (तालियां।)
एक साम्राज्य के पुनर्निर्माण पर आमादा एक तानाशाह कभी भी स्वतंत्रता की लोगों की चाहत को नहीं मिटा पाएगा। उसकी बर्बरता आज़ादी के उनके सपनों को कभी कुचल नहीं पाएगी। यूक्रेन पर रूस की कभी भी जीत नहीं होगी क्योंकि मुक्त लोगों को निराशा और अंधेरे की दुनिया में रहना मंज़ूर नहीं है।
हमारा एक अलग भविष्य होगा — लोकतंत्र और सिद्धांत, आशा और प्रकाश, शालीनता और गरिमा, स्वतंत्रता और संभावनाओं में निहित एक उज्जवल भविष्य।
भगवान के लिए, यह व्यक्ति सत्ता में बने नहीं रह सकता।
भगवान आप सब का भला करे। और ईश्वर हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करे। (तालियां।) और ईश्वर हमारे सैनिकों की रक्षा करे। आपके धैर्य के लिए धन्यवाद। धन्यवाद। (तालियां।) आपका धन्यवाद।
6:43 अपराह्न सीईटी
अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।