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अमेरिकी विदेश विभाग
प्रवक्ता का कार्यालय
अगस्त 30, 2021
प्रेस को संबोधन
ट्रीटी रूम
वाशिंगटन, डीसी

विदेश मंत्री ब्लिंकन:  आप सभी को नमस्कार।

अठारह दिन पहले, अमेरिका और हमारे सहयोगी देशों ने काबुल में अपना निकासी और पुनर्वास अभियान शुरू किया था। जैसा कि आपने अभी-अभी पेंटागन से सुना, कुछ घंटे पहले, वह ऑपरेशन पूरा हो गया।

123,000 से अधिक लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। इसमें करीब 6,000 अमेरिकी नागरिक शामिल हैं। यह एक विशाल सैन्य, कूटनीतिक और मानवीय उपक्रम था – हमारे देश के इतिहास के कठिनतम अभियानों में से एक – और सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इंतज़ामों और समन्वय संबंधी एक असाधारण उपलब्धि।

अनेक लोगों ने मिलकर इसे संभव किया।

मैं अपने उत्कृष्ट राजनयिकों की सराहना करना चाहता हूं जिन्होंने इस ऑपरेशन में समन्वय के लिए चौबीसों घंटे और दुनिया भर में काम किया। वे स्वेच्छा से काबुल हवाई अड्डे पर ड्यूटी के लिए आगे आए। वे हज़ारों अफ़ग़ानों की अमेरिका आगमन की प्रक्रिया में मदद करने के लिए बीच के पड़ाव वाले देशों में गए। उनकी अफ़ग़ानों का उनके नए देश में स्वागत हेतु सीमा प्रवेश केंद्रों और अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर तैनाती की गई। उन्होंने यहां वाशिंगटन में उप विदेश मंत्री ब्रायन मैकक्योन की निगरानी में 24/7 टास्क फोर्स को संभव बनाया। और उन्होंने अमेरिकियों की एक सूची बनाई जो संभवतः अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के इच्छुक थे, फिर उनमें से प्रत्येक से संपर्क करने का प्रयास किया, बारंबार – 14 अगस्त के बाद से 55,000 फोन कॉल किया,  33,000 ईमेल भेजा। उन्होंने मिशन को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए एक के बाद एक समस्याओं का समाधान किया।

उन्होंने ये सब किया क्योंकि – पिछले 20 वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान में तैनात विदेश विभाग और यूएसएड के हज़ारों कर्मचारियों के लिए – यह निकासी अभियान बेहद व्यक्तिगत था। उनमें से कइयों ने अफ़ग़ान सहयोगियों के साथ वर्षों तक कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था, जिनमें से कई भरोसेमंद दोस्त बन गए। हमने अफ़ग़ानिस्तान में अपने विदेश सेवा समुदाय के महत्वपूर्ण सदस्यों को भी खोया; हम उन्हें कभी नहीं भूलेंगे। अमेरिकियों, 20 वर्षों से हमारे साथ रहे विदेशी साझेदारों, और इस नाज़ुक मौक़े पर ख़तरे में पड़े अफ़ग़ानों की मदद करना, हमारी टीम के लिए एक जोखिम भरे अभियान से कहीं अधिक बड़ा काम था। यह एक पावन कर्तव्य था। और दुनिया ने देखा कि कैसे हमारे राजनयिकों ने दृढ़ संकल्प और पूरे मन से इस चुनौती का सामना किया।

काबुल में अमेरिकी सैनिकों ने हवाई अड्डे की सुरक्षा करने, दसियों हज़ार अफ़गानों सहित कई देशों के नागरिकों की रक्षा करने, और उन्हें बाहर निकालने का वीरतापूर्ण काम किया। वे अभी भी महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर रहे हैं, और यूरोप, मध्य पूर्व एवं यहां अमेरिका में सैन्य ठिकानों पर अफ़ग़ानों की देखभाल कर रहे हैं।

हमने काबुल हवाई अड्डे पर बच्चों को संभालते, परिवारों को दिलासा देते अमेरिकी सैनिकों की तस्वीरें देखी हैं। ये हमारे सैनिकों के करुणामय साहस के उदाहरण हैं। उन्होंने आतंकवादी हिंसा के लगातार ख़तरे के बीच इस मिशन को अंजाम दिया – और चार दिन पहले, हवाई अड्डे के गेट पर एक आत्मघाती हमलावर के हाथों 11 मरीन, नौसेना के एक चिकित्साकर्मी, और एक सैनिक की मौत हो गई, साथ ही कई अफ़ग़ान भी मारे गए।

उन सैनिकों में से लगभग सभी 20-25 वर्ष की उम्र के थे — जो 11 सितंबर 2001 को महज़ बच्चे या शिशु रहे होंगे।

ये मौतें हमारे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। विदेश विभाग में हम इसे गहराई से महसूस करते हैं। मरीन सैनिकों के साथ हमारा विशेष संबंध है। जब आप किसी अमेरिकी दूतावास में जाते हैं तो सबसे पहले आपको एक मरीन ही दिखता है। वे हमारे राजनयिक मिशनों की रक्षा करते हैं; वे हमें दुनिया भर में सुरक्षित रखते हैं। हम उनके बिना अपना काम नहीं कर सकते हैं। और हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे — और न ही हम ये भूलेंगे कि उन्होंने क्या हासिल किया। हममें से सर्वाधिक असाधारण लोग ही इस दुनिया में थोड़े समय के भीतर जीवन भर का सेवा कार्य कर पाते हैं। पिछले सप्ताह जान गंवाने वाले हमारे असाधारण भाई-बहनों ने यही किया।

अंत में, मैं अपने सहयोगी देशों और साझेदारों को धन्यवाद देना चाहता हूं। यह ऑपरेशन हर तरह से एक वैश्विक प्रयास था। कई देशों ने हवाई अड्डे पर हमारे साथ काम करने सहित हवाई निकासी में आगे बढ़कर अपना मज़बूत योगदान दिया।  कुछ अब पारगमन देशों के रूप में साथ दे रहे हैं, ताकि बाहर निकाले गए लोगों को पंजीकृत किया जा सके और उनके अंतिम गंतव्य तक भेजने की व्यवस्था की जा सके। कई अन्य देश अफ़ग़ान शरणार्थियों के स्थाई पुनर्वास के लिए सहमत हुए हैं, और हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों और सप्ताहों में और भी देश ऐसा करेंगे। हम उनके समर्थन के लिए दिल से आभारी हैं।

अब अमेरिकी सैन्य उड़ानें समाप्त हो गई हैं, और हमारे सैनिक अफ़ग़ानिस्तान से निकल गए हैं। अफ़ग़ानिस्तान के साथ अमेरिका के जुड़ाव का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। इसमें हम अपनी कूटनीति के ज़रिए नेतृत्व करेंगे। सैन्य मिशन समाप्त हो गया है। एक नया कूटनीतिक मिशन शुरू हो गया है।

तो आने वाले दिनों और हफ़्तों के लिए हमारी योजना ये है।

सबसे पहले, हमने इस नए मिशन के नेतृत्व के लिए एक नई टीम बनाई है।

इस समय, हमने काबुल में अपनी राजनयिक उपस्थिति को स्थगित कर दिया है, और वहां के कार्यों को दोहा, क़तर में स्थानांतरित कर दिया है, जिसके बारे में जल्दी ही औपचारिक रूप से कांग्रेस को सूचित किया जाएगा। अफ़ग़ानिस्तान में अनिश्चित सुरक्षा माहौल और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, यह एक विवेकपूर्ण क़दम था। और मैं इस अवसर पर काबुल में रहे अपने उत्कृष्ट प्रभारी राजनयिक राजदूत रॉस विल्सन को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो अफ़ग़ानिस्तान में हमारे दूतावास का नेतृत्व करने के लिए जनवरी 2020 में सेवानिवृत्ति से बाहर आए, और एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण दौर में असाधारण और साहसिक काम किया।

फ़िलहाल, अफ़ग़ानिस्तान के साथ अपनी कूटनीति के प्रबंधन के लिए हम दोहा के इस मिशन का उपयोग करेंगे, जिसमें कॉन्सुलर मामले, मानवीय सहायता का प्रबंधन, तथा सहयोगी देशों, साझेदारों और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ काम करना शामिल है, ताकि तालिबान के साथ हमारे संपर्कों और संदेशों के आदान-प्रदान का समन्वय हो सके। वहां हमारी टीम का नेतृत्व इयान मैककैरी करेंगे, जिन्होंने पिछले साल भर अफ़ग़ानिस्तान में हमारे मिशन उपप्रमुख के रूप में काम किया है। इस काम के लिए उनसे बेहतर और कोई नहीं होगा।

दूसरी बात, हम इच्छुक अमेरिकियों, विदेशी नागरिकों और अफ़ग़ानों को अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने में मदद करने के लिए अपने अथक प्रयासों को जारी रखेंगे।

मैं अब अफ़ग़ानिस्तान में रह गए अमेरिकियों के बारे में संक्षेप में बताना चाहूंगा।

हमने अमेरिकियों को देश छोड़ने के हरसंभव अवसर देने के लिए असाधारण प्रयास किए – कई मामलों में उनसे बातें करना, तो कभी-कभी उन्हें हवाई अड्डे तक पहुंचाना।

हमने अब तक इस बात की पुष्टि की है कि अफ़ग़ानिस्तान स्थित अमेरिकियों के रूप में स्वयं की पहचान करने वालों, जो देश छोड़ने की सोच रहे थे, में से लगभग 6,000 को निकाला गया है या वे वहां से निकल चुके हैं। यह संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि उनसे संपर्क स्थापित होने का और उनके आगमन का सिलसिला जारी है।

हमारा मानना ​​है कि थोड़ी संख्या में – 200 से कम और 100 के करीब होने की संभावना – अभी भी ऐसे अमेरिकी अफ़ग़ानिस्तान में हैं और निकलना चाहते हैं। हम यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वास्तव में उनकी संख्या कितनी है। हम अपने दस्तावेज़ों के आधार पर क़दम उठा रहे हैं और सूचियों के अनुरूप कॉल और टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए उनसे संपर्क कर रहे हैं, और यथाशीघ्र हम इस बारे में और अधिक विवरण दे सकेंगे। एक पक्की संख्या तय करने में एक चुनौती ये भी है कि अफ़ग़ानिस्तान के ऐसे दीर्घकालिक निवासी भी हैं जिनके पास अमेरिकी पासपोर्ट हैं, और जो ये निर्णय करने की कोशिश कर रहे थे कि वे वहां से निकलना चाहते हैं या नहीं। अफ़ग़ानिस्तान में गहरी जड़ों और विस्तारित परिवारों और दोहरी नागरिकता वाले अमेरिकी भी हैं, जो कई वर्षों से वहां रह रहे हैं। कई लोगों के लिए, यह एक पीड़ादायक विकल्प है।

उनके प्रति और अफ़ग़ानिस्तान में – और दुनिया में हर जगह – सभी अमेरिकियों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता क़ायम है। विदेशों में अमेरिकियों की सुरक्षा और कल्याण विदेश विभाग का सबसे अहम और स्थाई मिशन है। अगर अफ़ग़ानिस्तान में कोई अमेरिकी हमसे कहता है कि वो अभी वहीं रहना चाहता है, और फिर एक हफ़्ते या एक महीने या एक साल में वो हमसे संपर्क करता है और कहता है, “मैंने अपना मन बदल लिया है,” तो हम निकलने में उसकी मदद करेंगे।

इसके अलावा, हमने हमारे साथ काम करने वाले अफ़गानों, और विशेष रूप से जिन्हें प्रतिशोध का ख़तरा है, को निकालने और स्थानांतरित करने के लिए व्यापक काम किया है। हमने बहुतों को निकाला है, लेकिन कई अभी भी वहीं हैं। हम उनकी मदद के लिए काम करते रहेंगे। उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता की कोई समय सीमा नहीं है।

तीसरी बात, हम तालिबान को लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से बेरोकटोक जाने देने के उनके वायदे के प्रति जवाबदेह ठहराएंगे।

तालिबान ने उचित दस्तावेज़ों वाले किसी भी व्यक्ति को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से देश छोड़ने देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। ये बात वे कई बार निजी और सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। शुक्रवार को, तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टेलीविजन और रेडियो पर इसे फिर दोहराया, उन्हीं के शब्दों में: “कोई भी अफ़ग़ान देश छोड़ सकता है, जिसमें वे भी शामिल हैं जो अमेरिकियों के लिए काम करते हैं, यदि उनकी ऐसी इच्छा हो, और कारण चाहे जो भी हो।”

दुनिया के देशों में से आधे से अधिक इस बात पर ज़ोर देने में हमारे साथ हैं कि तालिबान लोगों को बेरोकटोक अफ़ग़ानिस्तान से बाहर जाने दे। अब तक, 100 से अधिक देश कह चुके हैं कि वे तालिबान से अपने देशों के यात्रा दस्तावेज़ों के सम्मान करने की अपेक्षा करते हैं। और कुछ ही घंटे पहले, संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया है जो इस ज़िम्मेदारी को सुनिश्चित करता है, जो अपनी बात से पीछे हटने पर तालिबान को जवाबदेह ठहराने का आधार तैयार करता है।

इसलिए, इस पर अंतरराष्ट्रीय जनमत मज़बूत है और यह मजबूत रहेगा। हम तालिबान को विदेशी नागरिकों, वीज़ा धारकों, जोखिम में पड़े अफ़ग़ानों की आवाजाही की स्वतंत्रता पर उनकी प्रतिबद्धता पर जवाबदेह ठहराएंगे।

चौथी बात, हम उनकी सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे।

आज सुबह, मैंने सभी जी7 देशों – ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, इटली, जापान – के साथ-साथ कतर, तुर्की, यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों और नैटो के महासचिव से बातचीत की। हमने इस बात पर चर्चा की कि काबुल के असैन्य हवाई अड्डे को जल्द से जल्द दोबारा खोलने सहित अफ़ग़ानिस्तान से सुरक्षित यात्रा की व्यवस्था करने के लिए हम मिलकर कैसे काम करेंगे – और हम इसे संभव करने के लिए विशेष रूप से क़तर और तुर्की के प्रयासों की बहुत सराहना करते हैं।

इससे छोटी संख्या में दैनिक चार्टर उड़ान संभव हो पाएंगे, जो आगे अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए एक अहम पहल है।

हम उन अमेरिकियों, वैध स्थाई निवासियों और हमारे साथ काम करने वाले अफ़गानों का समर्थन करने के तरीक़ों पर भी काम कर रहे हैं जो शायद सड़क मार्ग से निकलने का विकल्प चुनना चाहें।

हमें इनमें से किसी भी कार्य के आसान या तेज़ होने का कोई भ्रम नहीं है। यह अभी-अभी समाप्त हुए निकासी अभियान से बिल्कुल अलग चरण होगा। नए प्रकार की इन चुनौतियों से निपटने में समय लगेगा। लेकिन हम इसके लिए निरंतर प्रयास करते रहेंगे।

जॉन बास – अफ़ग़ानिस्तान में हमारे पूर्व राजदूत, जो हवाई अड्डे पर हमारे निकासी प्रयासों का नेतृत्व करने हेतु दो सप्ताह पहले काबुल पहुंचे थे – अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के इच्छुक अमेरिकी नागरिकों और स्थाई निवासियों, सहयोगी राष्ट्रों के नागरिकों, विशेष अप्रवासी वीज़ा के आवेदकों और अत्यधिक ख़तरे का सामना कर रहे अफ़ग़ानों की मदद के लिए विदेश विभाग में जारी हमारे कार्यों का नेतृत्व करेंगे। जॉन ने काबुल में जो कुछ भी किया, और इस मिशन के प्रति उनकी निरंतर प्रतिबद्धता के लिए, उसके लिए हम उनके और साथ ही उनके साथ काम करने वाले असाधारण कॉन्सुलर अधिकारियों के बहुत आभारी हैं।

पांचवीं बात, हम आतंकवाद का मुक़ाबला करने पर अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे।

तालिबान ने अल-क़ायदा और अपने पक्के दुश्मन आइसिस-के समेत आतंकवादी समूहों को बाह्य अभियानों, जिनसे अमेरिका या हमारे सहयोगी देशों को ख़तरा हो सकता है, के लिए अफ़ग़ानिस्तान का उपयोग नहीं करने देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इस मुद्दे पर भी, हम उन्हें इस प्रतिबद्धता के प्रति जवाबदेह ठहराएंगे। लेकिन तालिबान से हमारी उम्मीदों का मतलब ये नहीं है कि हम तालिबान पर निर्भर होंगे। हम स्वयं ख़तरों की निगरानी के लिए सतर्क रहेंगे। और उन ख़तरों को ज़रूरी हुआ तो  बेअसर करने के लिए हम क्षेत्र में मज़बूत आतंकवादरोधी क्षमताओं को बनाए रखेंगे, जैसा कि हमने पिछले कुछ दिनों में अफ़ग़ानिस्तान में आइसिस के सहायकों और आसन्न ख़तरों के खिलाफ़ हमले करके प्रदर्शित किया है – और जैसा कि हम दुनिया भर में करते हैं जहां कि ज़मीन पर हमारे सैन्य बल नहीं हैं।

अब मैं सीधे इन और अन्य मुद्दों पर तालिबान के साथ हमारे संपर्कों के बारे में बात करना चाहूंगा। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमारा तालिबान के साथ संपर्क था ताकि हम लोगों को निकालने का अपना काम कर सकें। आगे, काबुल में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के साथ हमारा कोई भी जुड़ाव केवल एक ही बात से प्रेरित होगा: हमारे अहम राष्ट्रीय हित।

अगर हम एक नई अफ़ग़ान सरकार के साथ इस तरह से काम कर सकें कि जिससे उन हितों को सुरक्षित रखने में मदद मिलती हो – जिसमें अमेरिकी नागरिक मार्क फ्रेरिक्स की सुरक्षित वापसी भी शामिल है, जो पिछले साल के आरंभ से इस क्षेत्र में बंधक बने हुए हैं – और इस तरह से कि जिससे उस देश और क्षेत्र में व्यापक स्थिरता आती हो और पिछले दो दशकों में हुई प्रगति की रक्षा होती हो, तो हम ऐसा करेंगे। लेकिन हम इसे भरोसे या आस्था के आधार पर नहीं करेंगे। हम जो भी क़दम उठाएंगे, वह तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के कहे पर नहीं, बल्कि अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरने के लिए उनके किए कार्यों पर आधारित होगा।

तालिबान अंतरराष्ट्रीय वैधता और समर्थन चाहता है। हमारा संदेश है: किसी भी तरह की वैधता और किसी भी तरह के समर्थन को अर्जित करना होगा।

तालिबान यात्रा की स्वतंत्रता देने; महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित अफ़ग़ान लोगों के मूल अधिकारों का सम्मान करने; आतंकवाद के खिलाफ़ अपनी प्रतिबद्धताओं पर क़ायम रहने; अफ़ग़ानिस्तान में रहने का विकल्प चुनने वालों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक हिंसा नहीं करने; और अफ़ग़ान लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनकी आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाली समावेशी सरकार बनाने संबंधी प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा करके ऐसा कर सकता है।

छठी बात, हम अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए अपनी मानवीय सहायता जारी रखेंगे।

इस संघर्ष ने अफ़ग़ान लोगों पर भयानक असर डाला है। लाखों लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं। लाखों लोगों को पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा, यहां तक कि उन्हें भुखमरी का भी सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी ने अफ़ग़ानिस्तान को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अमेरिका अफ़ग़ान लोगों को मानवीय सहायता देना जारी रखेगा। तालिबान पर हमारे प्रतिबंधों के अनुरूप सहायता सरकार के माध्यम से नहीं, बल्कि संयुक्तराष्ट्र की एजेंसियों और ग़ैरसरकारी संगठनों जैसे स्वतंत्र संस्थानों के ज़रिए दी जाएगी। और हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान या अन्य किस द्वारा उन प्रयासों को बाधित नहीं किया जाएगा।

और सातवीं बात, हम इन सभी मुद्दों और अनेक अन्य मुद्दों पर अपनी व्यापक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति जारी रखेंगे।

हमारा मानना है कि अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ समन्वय में काम करके हम और अधिक सफलता हासिल कर सकते हैं, और कहीं अधिक दबाव बना सकते हैं। पिछले दो हफ़्तों में, हमने अफ़ग़ानिस्तान में आगे की योजना बनाने और समन्वय करने के लिए अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ गहन कूटनीतिक वार्ताएं की हैं। मैंने नैटो और जी7 के विदेश मंत्रियों से मुलाक़ात की है। मैंने अपने दर्ज़नों समकक्षों के साथ आमने-सामने बातचीत की है। पिछले हफ्ते राष्ट्रपति बाइडेन ने जी7 देशों के नेताओं से मुलाक़ात की थी। और उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन हर दूसरे दिन दुनिया के सभी क्षेत्रों के 28 सहयोगी देशों और साझेदारों के एक समूह के साथ बैठक करती हैं।

आगे, हम इस क्षेत्र और दुनिया भर के देशों के साथ-साथ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों, ग़ैरसरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ निकटता से समन्वय करेंगे। हमारे सहयोगी देश और साझेदार हमारे उद्देश्यों को साझा करते हैं और हमारे साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आने वाले दिनों में मैं इन मुद्दों पर और चर्चा कर सकूंगा। आज मैं यहां इस मुख्य बात पर ज़ोर देना चाहता हूं कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका का काम जारी है। भावी क़दमों के लिए हमारे पास एक योजना है। हम इसे अमल में ला रहे हैं।

इस अवसर पर चिंतन करने की भी ज़रूरत है। अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध 20 सालों से जारी था। हमें इससे सबक सीखने चाहिए, और उन सीखों के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के बुनियादी सवालों के बारे में अपने विचार को आकार देना चाहिए। हमें भविष्य के राजनयिकों, नीति निर्माताओं, सैन्य नेताओं, सैनिकों के लिए ऐसा करना होगा। हमें अमेरिकी लोगों के लिए ये करना होगा।

लेकिन ऐसा करते हुए, हम वर्तमान और भविष्य पर निरंतर अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम अफ़ग़ान लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ें, जिसमें हमारे समुदायों में हज़ारों अफ़ग़ानों को शामिल करना शामिल है, जैसा कि अमेरिकी जनता अपने पूरे इतिहास में उदारता और अनुग्रह भाव के साथ पहले कई बार कर चुकी है।

ऐसा करके, हम अमेरिका और कई अन्य देशों के उन सभी बहादुर पुरुषों और महिलाओं का सम्मान करेंगे, जिन्होंने इस लंबे मिशन में भागीदारी करते हुए, आज के दिन तक, अपनी जान को जोखिम में डाला या अपने जीवन का बलिदान दिया।

मेरी बातों को सुनने के लिए धन्यवाद।


मूल स्रोत: https://www.state.gov/secretary-of-antony-j-blinken-remarks-on-afghanistan/.

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।

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The Lessons of 1989: Freedom and Our Future