अमेरिकी विदेश विभाग
प्रवक्ता का कार्यालय
संबोधन
सितंबर 23, 2021
पैलेस होटल
न्यूयॉर्क सिटी, न्यूयॉर्क
विदेश मंत्री ब्लिंकन: आप सभी को नमस्कार। मैं समझता हूं ये कहा जा सकता है कि संयुक्तराष्ट्र महासभा के दौरान यहां कुछ दिन व्यस्तता भरे रहे हैं।
और वास्तव में, यह सप्ताह राष्ट्रपति बाइडेन के पदभार ग्रहण करने के बाद पहली संयुक्तराष्ट्र महासभा का मौक़ा है, और मुझे लगता है कि इसके दौरान वो दृष्टिकोण जाहिर हुआ है जो उनके नेतृत्व में अमेरिका संयुक्तराष्ट्र में, और शेष दुनिया के साथ जुड़ाव के लिए अपना रहा है।
हमारा मानना है कि इससे फ़र्क़ पड़ता है जब अमेरिका भागीदारी करता है, दूसरों को सुनता है, नेतृत्व करता है; यह हमें मौजूदा दौर की बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए दूसरों को साथ लाने का अनूठा मंच प्रदान करता है। यह हमें उन नियमों और संस्थानों को मज़बूत करने का अवसर देता है जिन्होंने हमारे मूल्यों की रक्षा करने और वर्षों तक हमारे हितों को आगे बढ़ाने में मदद की है। और ये सब, अंततः अमेरिकी लोगों के कल्याण के हमारे प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जोकि हमारी विदेश नीति का बुनियादी सिद्धांत है।
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि हम तब आगे बढ़कर भागीदारी करें जब कुछ देश संयुक्तराष्ट्र के मूल नियमों और सिद्धांतों को बदलने की कोशिश कर रहे हों, जिन्हें सबसे शक्तिशाली देशों सहित सभी सदस्य राष्ट्रों ने स्वेच्छा से अपनाया था। वे इस साझा मान्यता से सहमत थे कि यह अंततः न केवल मानवता के हित में है, बल्कि उनके अपने हित में भी है, और ये बात आज भी सच है।
वे इस बात पर भी सहमत थे कि मानवाधिकारों और मानव गरिमा को आगे बढ़ाना इस संस्था का एक प्रमुख उद्देश्य है – और यह कि ये अधिकार सार्वभौम हैं – व्यक्तिपरक मूल्य नहीं जोकि भिन्न समाजों के लिए भिन्न होते हैं। और उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया था, जोकि आज कभी-कभी हमें सुनने को मिलता है, कि सरकारें अपनी सीमाओं के भीतर लोगों के साथ कैसा व्यवहार करती हैं, ये उनका निजी मामला है।
हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि जब हम जब कहीं भागीदारी करते हैं, तो वहां हर बात पर सहमत होते हैं, खासकर संयुक्तराष्ट्र जैसे बड़े मंच पर। लेकिन हम भागीदारी इसलिए करते हैं क्योंकि हम मानते हैं कि, जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, 21वीं सदी की एक बुनियादी सच्चाई ये है कि हमारी अपनी सफलता दूसरों के सफल होने के साथ जुड़ी हुई है। हमारे अपने लोगों के कल्याण के लिए – इस दौर की असल वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए – हमें अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना ही होगा।
इसलिए आपने देखा है कि अमेरिका गठबंधनों और साझेदारियों को पुनर्जीवित करने के लिए इतना अधिक प्रयास कर रहा है। हमने नैटो, विशेष रूप से इसके अनुच्छेद 5 के प्रति, साथ ही पूर्वी एशिया में अपने सहयोगी देशों की रक्षा के लिए अपनी अटल प्रतिबद्धता को दोहराया है। हम नवीनीकरण कर रहे हैं, हम विस्तार कर रहे हैं, हम यूरोपीय संघ के साथ जुड़ाव को गहरा कर रहे हैं और क्वाड साझेदारी को बढ़ा रहे हैं। हम क्षेत्रीय संगठनों के साथ फिर से जुड़ रहे हैं – आसियान से लेकर अफ्रीकी संघ और अमेरिकी राष्ट्रों के संगठन तक।
और, निश्चित रूप से, हम यहां संयुक्तराष्ट्र में अपने जुड़ाव को पुनर्जीवित कर रहे हैं। हम विश्व स्वास्थ्य संगठन में और पेरिस जलवायु समझौते में फिर से शामिल हुए, हम मानवाधिकार परिषद में स्थान पाने की कोशिश कर रहे हैं, हम संयुक्तराष्ट्र जनसंख्या कोष के साथ और संयुक्तराष्ट्र के एलजीबीटीआई कोर ग्रुप के साथ फिर से जुड़ गए हैं।
हम निर्णयकारी भूमिका के लिए कृतसंकल्प हैं हैं, और हम ये भूमिका निभा रहे हैं।
और यही कारण है कि इस सप्ताह आपने हमारी टीम को, जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था, “अथक कूटनीति” में संलग्न पाया। मुझे लगता है कि आज के दिन की समाप्ति तक मैं द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या बहुपक्षीय मंचों पर 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर चुका होऊंगा – जिनमें जी20, पी5, आसियान, जीसीसी, सी5, मध्य अमेरिका और मेक्सिको के मेरे समकक्ष शामिल हैं।
और इस सप्ताह इन सभी कूटनीतिक गतिविधियों में, दो चुनौतियां बाक़ियों से ऊपर थीं।
पहली चुनौती है कोविड-19 की।
राष्ट्रपति ने कल जो शिखर बैठक आयोजित की, उसमें उन्होंने इस महामारी का अंत करने के लिए अमेरिका की नई प्रतिबद्धताओं की घोषणा की, जिसमें वितरण के लिए फ़ाइज़र टीके की आधा बिलियन अतिरिक्त ख़ुराक खरीदना शामिल है। इसे मिलाकर अमेरिका सुरक्षित और प्रभावी टीकों की 1.1 बिलियन से अधिक ख़ुराकों का दान करेगा – और वो भी बिना किसी शर्त के। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तीन अतिमहत्वपूर्ण लक्ष्यों के लिए मिलकर काम करने हेतु सहमत करने पर भी पूरा ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।
सबसे पहले, हमें अभी अरबों लोगों का टीकाकरण करना है और इसे यथाशीघ्र करना है – अगले साल 2022 के अंत तक हर आय स्तर के, हरेक देश में कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण करना है।
दूसरी बात, हमें ज़िंदगियां बचाने के लिए अभी इसी समय साहसिक कदम उठाने होंगे – ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता बढ़ाने से लेकर रोगियों के इलाज, और टेस्टिंग क्षमता में भारी कमी को दूर करने तक।
और तीसरे, जब वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की बात आती है तो हमें बेहतर तरीक़े से पुनर्निर्माण करना होगा – इस महामारी को समाप्त करने के लिए और अगली महामारी से बचने, उसका पता लगाने, और उसे हराने के वास्ते खुद को बेहतर तैयारी की स्थिति में रखने के लिए।
तो हमारा संदेश स्पष्ट है: यह कहना पर्याप्त नहीं है कि हम बेहतर करेंगे। हमारे स्वास्थ्य, हमारी अर्थव्यवस्थाओं, और हमारी सुरक्षा की मांग है कि हम अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें और इस महामारी का हमेशा के लिए अंत करने हेतु एक राह तैयार करें।
और हम इस प्रयास को आगे बढ़ाने के हर अवसर का लाभ उठाएंगे, जिसमें आगामी जी20 बैठक भी शामिल है, और हम खुद को तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन प्रतिबद्धताओं के प्रति जवाबदेह ठहराते हैं, जिन्हें कि हमने शिखर सम्मेलन में निर्धारित किया है। और इस गतिशीलता को बनाए रखने के लिए, राष्ट्रपति के निर्देश पर, मैं वर्षांत से पहले कोविड-19 पर विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाऊंगा। राष्ट्रपति स्वयं महामारी पर जल्दी ही – अगले साल, 2022 के शुरुआती महीनों में – राष्ट्राध्यक्षों की बैठक की मेज़बानी करेंगे।
दूसरी बड़ी चुनौती जलवायु संकट की है। हम अब कॉप26 से बैठक से कुछ ही सप्ताह दूर हैं, और यदि हम प्रलयकारी परिणामों को रोकना चाहते हैं और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के अनिवार्य लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं, तो प्रत्येक राष्ट्र को अपनी उच्चतम संभावित महत्वाकांक्षाओं के साथ सम्मेलन में आना होगा। और, हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।
मुझे आज सुबह सुरक्षा परिषद में जलवायु और सुरक्षा पर एक सत्र में भाग लेने का अवसर मिला, जिसका फ़ोकस अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर जलवायु संकट के गहरे प्रभाव को स्वीकार करने पर था। जलवायु पर भी, जैसा कि महामारी के खिलाफ़ हमने दिखाया है, हम निरंतर अपनी मिसाल के बल पर नेतृत्व कर रहे हैं, जैसा कि महासभा में राष्ट्रपति बाइडेन के संकल्प में स्पष्ट था कि जलवायु संकट से सर्वाधिक प्रभावित देशों के वास्ते, उन्हें अनुकूलन हेतु मज़बूत बनाने के वास्ते अपनी सार्वजनिक अंतरराष्ट्रीय फ़ंडिंग को फिर दोगुना करने – जिसे वे अप्रैल में पहले ही एक बार दोगुना कर चुके हैं – के लिए हम अमेरिकी कांग्रेस के साथ मिलकर प्रयास करने जा रहे हैं।
फिर भी, जब महामारी और जलवायु दोनों की बात आती है, तो अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया उतनी आक्रामक नहीं होती है, जितनी कि होनी चाहिए। और यहां इस सप्ताह हम इसके लिए ही कोशिश कर रहे थे, और इस पर ज़ोर देने के लिए हम आने वाले दिनों एवं सप्ताहों में कड़ी मेहनत करते रहेंगे।
हो सकता है, कुछ लोग इस स्थिति के लिए संयुक्तराष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय निकायों पर दोष मढ़ने के लिए प्रेरित हों। लेकिन जैसा कि रिचर्ड होलब्रुक ने एक बार कहा था, दुनिया की समस्याओं के लिए संयुक्तराष्ट्र को दोष देना वैसा ही है जैसे न्यूयॉर्क निक्स टीम के अच्छा नहीं खेलने पर मैडिसन स्क्वायर गार्डन को दोष देना। अंतरराष्ट्रीय समुदाय मौजूदा दौर की चुनौतियों – चाहे वो कोविड हो, जलवायु संकट हो, अन्य चुनौतियां जिनकी हमने इस सप्ताह यहां चर्चा की है – से निपटने के लिए आगे आता है या नहीं, यह अंततः इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी जैसी सरकारें क़दम उठाने और दूसरों को अपने साथ लाने की पहल करती हैं कि नहीं। एक बार फिर, इसी वजह से अमेरिका का भागीदारी करना, कूटनीति में संलग्न होना और नेतृत्व करना इतना महत्वपूर्ण है।
इस पूरे सप्ताह के दौरान, हमें निश्चित रूप से कई अन्य अतिमहत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने का अवसर मिला: लीबिया, बर्मा, ईरानी परमाणु कार्यक्रम, उत्तर कोरिया, सीरिया, इथियोपिया, क्षेत्रीय प्रवासन। एक लंबी सूची है।
यहां, यह ध्यान देने योग्य बात है कि संयुक्तराष्ट्र के उच्चस्तरीय सप्ताह में विदेश विभाग के हरेक हिस्से की बहुत गहन भागीदारी होती है। हर बैठक, हर बयान, हर ब्रीफ़िंग के लिए योजना बनाने, विश्लेषण करने, और कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है। और कहने की ज़रूरत नहीं कि इस प्रयास में अमेरिका सरकार के अन्य विभागों के साथ निकट समन्वय शामिल होता है। और जब हम यहां अपनी भागीदारी संपन्न कर रहे हैं, मैं कहना चाहूंगा कि हमारी टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया, और मैं इसके लिए आभारी हूं। इसलिए मैं अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य को इस सप्ताह को प्रभावी बनाने के लिए और रोज़ अपने हमवतन लोगों की सेवा करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
अपनी बात पूरी करने से पहले, मैं विशेष रूप से अफ़ग़ानिस्तान के बारे में कुछ शब्द जोड़ना चाहूंगा।
कल रात सुरक्षा परिषद में जी20 की बैठक में, साथ ही अनेक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में यह चर्चा के केंद्र में था। उन बैठकों में, हमने इस बात को रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अपने दृष्टिकोण को लेकर एकजुट रहना कितना महत्वपूर्ण है। तालिबान वैधता हासिल करने, अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने की कोशिश जारी रखे हुए है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हमारा संदेश ये है कि तालिबान को किसी भी तरह की वैधता या समर्थन का मिलना, प्रमुख मुद्दों पर उनके द्वारा व्यक्त प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर निर्भर करता है, और वो सारी प्रतिबद्धताएं संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पिछले दिनों पारित एक प्रस्ताव में निहित हैं:
- इच्छुक विदेशी नागरिकों और अफ़ग़ानों को देश से बाहर यात्रा करने की अनुमति देना।
- आतंकवादी समूहों को अन्य देशों पर ख़तरा बनने वाले बाह्य अभियानों के अड्डे के रूप में अफ़ग़ानिस्तान का उपयोग नहीं करने देना।
- बुनियादी मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करना, और प्रतिशोधात्मक कार्रवाइयों से बचना।
- निर्बाध मानवीय सहायता की अनुमति देना।
- और यथार्थ में एक समावेशी सरकार गठित करना जोकि बुनियादी ज़रूरतों को पूरा कर सके और अफ़ग़ान लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित कर सके।
यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर कोई एहसान नहीं होगा। यह एक स्थिर और सुरक्षित अफ़ग़ानिस्तान के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है। और, तालिबान को इन प्रतिबद्धताओं के लिए जवाबदेह ठहराने के साथ-साथ हम अन्य सरकारों, वित्तीय संस्थानों और गैरसरकारी संगठनों के साथ काम करना जारी रख रहे हैं ताकि अफ़ग़ानों के लिए मानवीय सहायता के प्रवाह को सुचारू बनाया जा सके, जिनका जीवन इस पर निर्भर करता है।
इसलिए भले ही अब उच्चस्तरीय सप्ताह समाप्त हो रहा हो, राष्ट्रपति ने संयुक्तराष्ट्र में अपने संबोधन में दुनिया भर में जिस अनवरत कूटनीति चलाने की बात की थी, वह जारी है। और यह रोज़ जारी रहेगी।
एक बिल्कुल आखिरी बात: मुझे आज अपने फ़्रांसीसी समकक्ष ज्यां-इव ली द्रियां से मिलने का अवसर मिला। और हम इस सप्ताह एक साथ कई बैठकों में भाग ले चुके हैं – पी5, जी20 और लीबिया पर वो बैठक जिसकी मेज़बानी उन्होंने अपने जर्मन और इतालवी समकक्षों के साथ की थी। आज की हमारी बैठक राष्ट्रपति बाइडेन और राष्ट्रपति मैक्रों के बीच कल की बातचीत के बाद हुई, जिसमें उन्होंने सहमति व्यक्त की कि 15 सितंबर की घोषणा के लिए सहयोगियों के बीच खुला परामर्श लाभदायक रहता, और उन्होंने आगे गहन परामर्श की प्रक्रिया चलाने का फ़ैसला किया। हम मानते हैं कि इसमें समय लगेगा और कड़ी मेहनत की दरकार होगी, और यह न केवल शब्दों में बल्कि कार्यों में भी प्रदर्शित किया जाएगा। और मैं इस महत्वपूर्ण प्रयास पर विदेश मंत्री ली द्रियां के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।
एक व्यक्तिगत बात का उल्लेख करता चलूं कि उनसे मेरी पुरानी मित्रता है – और मैं उन्हें बहुत सम्मान देता हूं।
इसी के साथ, अब मुझे आपके सवालों का जवाब देने में खुशी होगी।
श्री प्राइस: हम सीएनएन की काइली एटवुड से आरंभ करते हैं।
प्रश्न: नमस्कार।
विदेश मंत्री ब्लिंकन: नमस्कार, काइली।
प्रश्न: धन्यवाद, विदेश मंत्री, इस आयोजन के लिए। मैं हैती पर एक प्रश्न के साथ शुरुआत करना चाहती हूं। हैती के लिए विशेष दूत डैनियल फ़ुट ने आज सुबह या इस सप्ताह इस्तीफ़ा दे दिया, और उन्होंने बाडेन प्रशासन के “अमानवीय … निर्वासित करने के निर्णय … हेशियन शरणार्थियों” और हैती के संबंध में अमेरिका की “बड़ी त्रुटिपूर्ण” नीतियों का उल्लेख किया। क्या आपने उनके इस्तीफ़े को स्वीकार करने से पहले उनके साथ चर्चा की थी और क्या आप हेशियन प्रवासियों को निर्वासित करने के क़दम को मानवीय मानते हैं, ख़ासकर ये देखते हुए कि शरण के लिए अमेरिका आने वाले परिवारों के पास अमेरिका में रहने का क़ानूनी आधार होना चाहिए?
और फिर मेरा दूसरा प्रश्न, व्यापक परिप्रेक्ष्य में है: हाल में विदेश नीति के कई मुद्दों से निपटने के तरीक़े को लेकर बाइडेन प्रशासन की ज़बरदस्त आलोचना हुई है – अफ़ग़ानिस्तान से वापसी से जुड़ी अराजकता वाली स्थिति; ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच का नया सुरक्षा समझौता, जिसने फ़्रांसीसियों को नाराज़ कर दिया है; सीमा संकट; हैती के शरणार्थी; रुकी हुई ईरानी समझौता वार्ता। ऐसा लगता है कि प्रशासन ने इनमें से बहुत से मुद्दों का प्रबंधन ठीक से नहीं किया है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
विदेश मंत्री ब्लिंकन: धन्यवाद, काइली। तो, हैती से शुरू करते हुए, पहले मैं ये कहना चाहूंगा: मैं डैन फ़ुट को उनकी सेवा, उनकी लंबी सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। और आपने हैती नीति पर प्रशासन के साथ उनकी असहमति के बारे में सुना है, लेकिन मेरा कहना है कि मैं उस जुनून की सराहना करता हूं जो उन्होंने अपनी भूमिका में प्रदर्शित किया, वो उत्साह जो उन्होंने अपने काम में दिखाया। और मुझे लगता है कि हम वास्तव में हैती के लोकतंत्र को मज़बूत करने, हेशियन लोगों का समर्थन करने की मूलभूत आवश्यकता पर परस्पर सहमत हैं।
तथ्य यह है कि हैती पर वरिष्ठ स्तर पर कई बार बातचीत हुई है जहां सभी प्रस्तावों, जिनमें विशेष दूत फ़ुट द्वारा पेश प्रस्ताव शामिल हैं, पर एक ठोस और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत पूर्णता में विचार किया गया। और अंततः, राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल की भूमिका, उनके सलाहकारों की भूमिका, उन्हें यथासंभव सर्वोत्तम सलाह प्रदान करने की होती है। हम विचारों की उपेक्षा नहीं करते, हम उन्हें देखते हैं, हम उन पर विचार करते हैं। लेकिन नीतियों के संबंध में हमारी एक प्रक्रिया है, और यह हमारे मामले में बहुत समावेशी है, लेकिन अंततः इसे ये तय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि हम हमारे एजेंडे को आगे बढ़ाने में सक्षम प्रस्ताव राष्ट्रपति को अनुशंसित करें, और जैसा आवश्यक होता है, राष्ट्रपति निर्णय लेते हैं।
इस प्रक्रिया में, अनिवार्य रूप से असहमति पैदा होती है। हमारे लगभग हर विचारणीय मुद्दे पर लोग अपना दृढ़ विचार रखते हैं, और तब तो ज़रूर ही जब यह वास्तविक जुनून पैदा करने वाला हैती जैसा मुद्दा हो। प्रवासियों के बीच हताशा का स्तर कुछ ऐसा है जो हम सभी को झकझोर सकता है। और इसलिए मैं वास्तव में इससे संबंधित आवेश को समझता हूं और मैं डैन के जुनून को समझता हूं।
लेकिन यही कारण है कि व्यक्तिगत स्तर पर और संस्थागत रूप से हम इस समय और आगे भी हैती के लोगों का समर्थन करने के वास्ते हरसंभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पोर्ट-ऑ-प्रिंस में मिशेल सिसॉन के रूप में हमारे पास एक असाधारण राजदूत हैं। हमारे पास, मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है, पश्चिमी गोलार्ध मामलों के नए सहायक विदेश मंत्री ब्रायन निकोल्स हैं, जिनकी नियुक्ति की अभी हाल में पुष्टि हुई है। निकोल्स हैती की यात्रा करेंगे, और राजदूत सिसॉन के साथ मिलकर वह हमारे प्रयासों का नेतृत्व करेंगे, और उन्हें वहां उल्लेखनीय कार्य करने वाली यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट तथा उसकी प्रशासक पावर और उनकी टीम का भी साथ मिलेगा।
तो इस तरह हम अपने प्रयासों को इन बातों पर बहुत अधिक फ़ोकस कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त मैं कहूंगा – और जाहिर है मैं उल्लेख कर रहा हूं – इनमें से कुछ सवालों पर मैं आपको डीएचएस सहित अन्य सहयोगी एजेंसियों का भी संदर्भ दूंगा – लेकिन एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना जो हमने देखी है, वह ये है कि, विभिन्न तरीक़ों से और विभिन्न स्थानों पर, कुछ लोग हेशियन लोगों, वे हैती में रह रहे हों या अन्य देशों में रहने वाले हेशियन, को गलत सूचनाएं दे रहे हैं कि वे अमेरिका में आ सकते हैं और कुछ महीने पूर्व यहां आए हेशियन लोगों को प्रदत्त अस्थायी संरक्षित स्थिति के कारण वे यहां रह सकते हैं।
यह गलत सूचना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को बहुत ख़तरनाक यात्राएं करने, खुद को ख़तरे में डालने, और अन्य बातों के अलावा कोविड-19 का ख़तरा मोल लेने के लिए प्रेरित कर रहा है। ये सब केवल इस गलत सूचना के कारण कि वे आ सकते हैं और रह सकते हैं। इसलिए हम हेशियन लोगों की देखभाल करने के अलावा यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं कि लोग समझें कि वे ऐसा नहीं कर सकते।
दूसरा, व्यापक प्रश्न। देखिए, हम आपने जो मुद्दे उठाए हम उनमें से प्रत्येक के बारे में बात करने में पूरा समय बिता सकते हैं। लेकिन मैंने इस सप्ताह यहां जो कुछ सुना है, विशेष रूप से राष्ट्रपति के भाषण के मद्देनज़र, कि वह बहुत ज़ोरदार भाषण था, और मैंने जिनसे भी बात की उनमें से लगभग सभी ने उसकी प्रशंसा की और राष्ट्रपति बाइडेन की संकल्पना को अपने समर्थन की बात की, जोकि उन्होंने महासभा में अपने संबोधन में रखी थी: ऐसा अमेरिका जो अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए कृतसंकल्प है; ऐसा अमेरिका जो यह समझता है कि हमारे सामने मौजूद, हमारे लोगों के समक्ष क़ायम बड़ी समस्याओं और चुनौतियों में से एक भी ऐसा नहीं है – जिनके बारे में हमने बात की है, कोविड से लेकर जलवायु संकट और उभरती प्रौद्योगिकियों के व्यवधानकारी प्रभाव तक – उनमें से एक का भी समाधान हममें से कोई भी, जिसमें अमेरिका भी शामिल है, अकेले नहीं कर सकता है; कि हम दूसरों के साथ मिलकर काम करने प्राथमिकता देते हैं और हम कूटनीति को प्राथमिकता देते हैं। और जिस तरह उन्होंने ज़ोर दिया, जो फ़ोकस उन्होंने कोविड-19 से निपटने और जलवायु परिवर्तन का सामना करने को दिया – वह पूरे संयुक्तराष्ट्र में प्रतिध्वनित हुआ, लेकिन साथ ही उन्होंने बहुपक्षवाद पर, और मानवाधिकारों एवं लोकतंत्र की हिमायत करने पर ज़ोर दिया, और हम सभी को याद दिलाया कि इस पूरी प्रणाली, जिसे की हमने अंगीकार किया है, के केंद्र में हम सभी लोग हैं, व्यक्ति के रूप में, केवल राष्ट्र-राज्य के रूप में ही नहीं।
तो देखिए, जैसा कि मैंने कहा, हम इनमें से प्रत्येक के बारे में बहुत बात कर सकते हैं, लेकिन मुझे आपको यह बताना है कि मैं पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रपति के भाषण की प्रतिक्रिया में क्या सुन रहा हूं और वह हमें जिस दिशा में ले जा रहे हैं वह अत्यंत सकारात्मक और पूरी तरह अमेरिका के हित में है।
प्रश्न: विदेश मंत्री महोदय —
श्री प्राइस: काइली, हम आगे बढ़ना चाहेंगे। माफ़ करें। अब वेरोनिक़ ली बिलोन का सवाल।
प्रश्न: मेरा प्रश्न लेने के लिए धन्यवाद। तो संकट पर चर्चा करने के लिए आपने आज सुबह विदेश मंत्री ज्यां-इव ली द्रियां से मुलाक़ात की। फ़्रांसीसी मंत्री ने कहा कि संकट को समाप्त करने में, उन्हीं के शब्दों में, ‘इसमें समय लगेगा और इसके लिए पहल करने की आवश्यकता होगी।’ क्या आप इस पर और प्रकाश डाल सकते हैं? माफ़ करें, आपने किस तरह की विशिष्ट पहलों पर चर्चा की और क्या आने वाले महीनों में साझा हित के मद्देनज़र ये पहल की जा सकती हैं?
और भारत के बारे में भी एक सवाल। क्वाड की कल बैठक हो रही है, और नरेंद्र मोदी और इमैनुएल मैक्रों ने कुछ दिन पहले परस्पर बातचीत की थी और उनकी साझेदारी, जैसा कि आप जानते हैं, काफी व्यापक है। और क्या आप दोनों देशों के बीच परमाणु पनडुब्बी गठबंधन का स्वागत करेंगे? धन्यवाद।
विदेश मंत्री ब्लिंकन: धन्यवाद। बस एक-दो बातें। सर्वप्रथम और मोटे तौर पर, जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, हम अब राष्ट्रपति मैक्रों और राष्ट्रपति बाइडेन के निर्देश पर भविष्य के लिए गहन विचार-विमर्श की एक प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं, बहुत ही व्यावहारिक तरीक़े से, जो हमारे देशों के बीच सहयोग और समन्वय को मज़बूत करेगी, जोकि कई वर्षों से और कई मायनों में पहले से ही उल्लेखनीय रूप से मज़बूत हैं, लेकिन हम और अधिक प्रगति कर सकते हैं, और हम बेहतर काम कर सकते हैं।
मैं समझता हूं, हम हिंद-प्रशांत में यूरोपीय जुड़ाव और फ़्रांसीसी जुड़ाव और नेतृत्व का बहुत स्वागत करेंगे, और इस बात पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। कुछ दिनों पहले हिंद-प्रशांत पर यूरोपीय संघ की जो रणनीति सामने आई, जिस रणनीति को विकसित करने में फ़्रांस ने अग्रणी भूमिका निभाई है, उसका हम ज़ोरदार स्वागत करते हैं। हम आने वाले महीनों में अपनी खुद की संशोधित रणनीति तैयार करने जा रहे हैं। यूरोपीय संघ ने फ़्रांस के बेहद मज़बूत इनपुट के साथ जो किया है, इसमें उसका ध्यान रखा जाएगा। और इसलिए कोई क्षेत्र जहां हम अपने सहयोग और सहभागिता को गहरा करना चाहेंगे, वह है हिंद-प्रशांत क्षेत्र, और ऐसे कई तरीक़े हैं जिनसे ज़रिए हम ऐसा कर सकते हैं।
इसी तरह, हम साहेल क्षेत्र में पहले से ही आतंकवाद के खिलाफ़ एकजुट खड़े हैं, और अविश्वसनीय रूप से साथ मिलकर काम कर रहे हैं। फ़्रांस ने अभी कुछ दिन पहले ही वहां एक शीर्ष आतंकवादी सरगना को मार गिराया था, जिसने हमारे दोनों देशों को धमकी दी थी, और यह बहुत ही महत्वपूर्ण कार्रवाई थी। इसके अलावा फ़्रांस हर दिन साहेल में अमेरिका के मज़बूत समर्थन और सहयोग से हमारे हितों की रक्षा करता है। हम साहेल में साथ मिलकर और भी अधिक काम करने के तरीकों पर विचार करेंगे।
और, ज़ाहिर है, हम ट्रांसअटलांटिक सुरक्षा और यूरोपीय सुरक्षा के बारे में बात करेंगे। हम उन प्रयासों का बहुत समर्थन करते हैं जिनके बारे में फ़्रांस के दृढ़ विचार हैं और उसने आवश्यकतानुसार यूरोपीय सुरक्षा और रक्षा क्षमता को मज़बूत करने के लिए, रक्षा बजट बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जोकि निश्चय ही नैटो की अपेक्षाओं के अनुरूप है। यह एकदम सही काम है – उन क्षमताओं को मज़बूत करना हमारे हित में और यूरोप के हित में है। इस प्रयास में फ़्रांस ने, राष्ट्रपति मैक्रों ने, जो नेतृत्व दिखाया है, हम उसकी सराहना करते हैं। तो ये सभी वो विषय हैं जिनके बारे में हम निश्चित रूप से बात करेंगे, साथ ही उन कार्यों की चर्चा करेंगे जो हम दुनिया के कई अन्य हिस्सों में साथ मिलकर कर रहे हैं, जहां हमारे बहुत मज़बूत साझा हित हैं।
और मैं भविष्य के बारे में किसी ख़ास कल्पनाओं की चर्चा नहीं करने जा रहा, लेकिन मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि भारत के साथ हमारे संबंधों को और भी गहरा करने में फ़्रांस और अमेरिका दोनों के बहुत मज़बूत हित हैं। यह एक ऐसी बात है जिसका हम पुरज़ोर समर्थन करते हैं।
श्री प्राइस: शॉन टंडन, एएफ़पी।
प्रश्न: धन्यवाद, विदेश मंत्री महोदय। क्या मैं आपसे ईरान के बारे में पूछ सकता हूं? जैसा कि आप जानते हैं, नए विदेश मंत्री श्री आमिर अब्दोलाहियां यहां थे। जाहिर है कि आप उनसे नहीं मिले, लेकिन उनसे मिले यूरोपीय नेताओं से आप उनके विचारों के बारे में क्या जान पाए, क्या आपको लगता है कि हमारे पास परमाणु वार्ता को फिर से शुरू करने का – और जेसीपीओए समझौते को पुनर्जीवित करने का कोई रास्ता है? किस बिंदु पर आपको लगता है कि इसके लिए समय समाप्त हो जाएगा?
और अगर मैं अफ़ग़ानिस्तान पर आपके द्वारा पहले की गई टिप्पणी पर अनुवर्ती सवाल कर सकता हूं, तो आपने कहा कि आपने तालिबान को तब तक वैधता नहीं देने के लिए ठोस प्रयास किया है, जब तक कि वहां प्रगति ना होती हो। क्या आप मानते हैं कि दुनिया इस पर आपके साथ है, जिसमें चीन जैसे देश, पाकिस्तान जैसे देश और पी5 के सभी देश शामिल हैं? धन्यवाद।
विदेश मंत्री ब्लिंकन: धन्यवाद। तो ईरान पर कुछ बातें। ईरान के लिए हमारे विशेष दूत रॉब मैले भी पूरे सप्ताह यहां थे। न्यूयॉर्क में उनके कुछ दिन बहुत ही उपयोगी रहे और वे वाशिंगटन वापस लौट गए हैं। वियना में वार्ता में लौटने के लिए हमारे पास अभी तक ईरान की कोई सहमति नहीं है। हम वार्ता जारी रखने हेतु वियना लौटने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, पर सवाल ये है कि ईरान ऐसा करने के लिए तैयार है या नहीं। हम जेसीपीओए का फिर से परस्पर अनुपालन शुरू के लिए, और ईरान से संबंधित हमारी और कई अन्य देशों की विभिन्न चिंताओं को दूर करने के लिए भी, कूटनीति का रास्ता अपनाने को लेकर बहुत ईमानदार और बहुत दृढ़ रहे हैं। हमारा अब भी यह मानना है कि समझौते का फिर से पारस्परिक अनुपालन हमारे हित में है। यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और उसकी अन्य अस्थिरकारी गतिविधियों को संबोधित करने हेतु एक मंच हासिल करने का सबसे अच्छा उपलब्ध विकल्प है।
लेकिन जैसा कि मैंने हाल में कुछ मौक़ों पर कहा है, फिर से परस्पर अनुपालन शुरू करने की संभावना अनिश्चितकालीन नहीं है। और इस समय चुनौती ये है कि हर बीतते दिन के साथ, जब ईरान ऐसी कार्रवाइयां करना जारी रख रहा है जो समझौते के अनुरूप नहीं हैं – विशेष रूप से अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम – 20 प्रतिशत, यहां तक कि 60 प्रतिशत तक – का बड़ा भंडार तैयार करना, और अधिक तेज़ सेंट्रीफ्यूज का उपयोग – तो हम भविष्य में एक समय ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएंगे, जहां केवल जेसीपीओए के पारस्परिक अनुपालन पर लौटने से समझौते के लाभों को पूरा हासिल नहीं किया जा सकेगा क्योंकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम में बहुत आगे निकल चुका होगा, जिसे जेसीपीओए की शर्तों के पालन मात्र से पलटा नहीं जा सकेगा।
तो यह ऐसी स्थिति है जिसे हमारे सहयोगी देश और साझेदार भी जानते हैं और सहमत हैं। और सवाल यह है कि क्या ईरान वापस आने और इन वार्ताओं में सार्थक भागीदारी करने के लिए तैयार है। हम इस पर जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं।
और माफ़ करें, क्या है आपके प्रश्न का दूसरा भाग?
प्रश्न: अफ़ग़ानिस्तान (अश्रव्य)।
विदेश मंत्री ब्लिंकन: हां। मुझे लगता है कि रवैये और उद्देश्य को लेकर मज़बूत एकजुटता है। और, ज़ाहिर है, यह केवल मैं ही नहीं कह रहा; यह संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में परिलक्षित होता है जिसे कुछ हफ़्ते पहले 30 अगस्त को पारित किया गया था। जब भविष्य में तालिबान के आचरण की बात आती है तो यह सुरक्षा परिषद की अपेक्षाओं में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है: फिर से कहूं, तो यात्रा की स्वतंत्रता; अफ़ग़ानिस्तान को आतंकवाद के लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल नहीं करने देने की प्रतिबद्धताओं को पूरा करना; महिलाओं, बालिकाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों सहित बुनियादी अधिकारों को क़ायम रखना; मानवीय सहायता की अनुमति देना और वास्तव में उनकी रक्षा करना; और बेशक, समावेशी शासन सुनिश्चित करना। तो ये सब सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में है।
इसके अलावा, सौ से अधिक देशों ने तालिबान से इन्हीं अपेक्षाओं पर ज़ोर दिया है, और वस्तुतः उन सभी वार्ताओं में जो मैंने व्यक्तिगत रूप से या देशों के विभिन्न समूहों में अलग-अलग की हैं, जिसमें सुरक्षा परिषद भी शामिल है, मुझे लगता है कि एक तरह से पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान से उन प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरने की अपेक्षा करता है।
और इसलिए हम देखेंगे। लब्बोलुआब ये है: फिर से कहूं, तो तालिबान का कहना है कि वह वैधता चाहता है, कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन चाहता है; पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उसके संबंध उसके द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों पर निर्भर करेंगे। हम इस पर नज़र रख रहे हैं। और, सिर्फ हम ही नहीं। बल्कि, सुरक्षा परिषद और दुनिया भर के देश भी।
श्री प्राइस: अब हम बारबरा अशर के पास चलते हैं।
प्रश्न: नमस्कार, श्रीमान ब्लिंकन, हमारे सहयोगी जो पूछ चुके हैं, बस उसी से संबंधित कुछ अनुवर्ती सवाल हैं।
फ़्रांस के विदेश मंत्री के साथ बैठक के संदर्भ में, क्या अब आपको लगता है कि संकट समाप्त हो गया है, यदि आप इसे संकट कहते हैं – क्या आप कहेंगे? और क्या आपने उनसे माफ़ी मांगी है?
और फिर हैती के संदर्भ में, आपने श्री फ़ुट के जुनून को समझने की बात की, समझ सकती हूं, लेकिन जो संदेश या बयान दिया गया था, उससे लगता है कि उन्होंने जो प्रस्ताव दिए थे वे अच्छे नहीं थे, कि वे हानिकारक थे लोकतंत्र को प्रोत्साहन की दृष्टि से, और मूल रूप से कहा गया है कि उन्होंने अपने इस्तीफे की परिस्थितियों को गलत तरीक़े से पेश किया। जो वास्तव में मुझे काफ़ी तीखा बयान लगा। क्या उन्हें किसी बाधा के रूप में देखा गया, या फिर उन्हें बलि का बकरा बनाया गया। मेरा मतलब, क्या आप उस बयान का कुछ संदर्भ दे सकते हैं? धन्यवाद।
विदेश मंत्री ब्लिंकन: पहले मैं प्रश्न का दूसरा भाग लेता हूं।
देखिए, जैसा कि मैंने एक क्षण पहले कहा था, विशेष दूत फ़ुट ने विभिन्न भूमिकाओं में देश की उल्लेखनीय सेवा की है। मैं इस नवीनतम भूमिका में उनके उत्साह का बहुत सम्मान करता हूं, प्रशंसा करता हूं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कोई विशेष नीति या दृष्टिकोण जिसका उन्होंने प्रस्ताव या समर्थन किया हो, वह अनिवार्य रूप से सही ही हो, या हम हर नीति के संदर्भ में जिस प्रक्रिया से गुजरते हैं उसमें पहले से तय हो कि वह उसी दिशा में जाएगी जिसका उन्होंने प्रस्ताव रखा था या किसी ने प्रस्तावित किया था। तो फिर से कहता हूं, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, उनकी सेवाओं का सम्मान करता हूं, उनके जुनून का सम्मान करता हूं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम सही दृष्टिकोण अपनाने, सही नीतियों का पालन करने को लेकर उनसे असहमत नहीं हो सकते। ये बात इसी पर आकर टिकती है, और उन्होंने फ़ैसला किया कि वह अब उस क्षमता में सेवा करने में सहज नहीं होंगे, और मैं उनके इस निर्णय का सम्मान करता हूं।
जहां तक फ़्रांस और मेरे सहयोगी विदेश मंत्री ली द्रियां का संबंध है, मैं फिर से कहूंगा कि मैंने पहले जो कहा, मैं इसे उसी रूप देखता हूं, और हम सब इसे उसी रूप में देखते हैं। हमारे पास एक प्रक्रिया है, आगे गहन विचार-विमर्श करने की, जिस पर राष्ट्रपति मैक्रों और राष्ट्रपति बिडेन ने सहमति व्यक्त की है। हम मानते हैं कि इसमें समय लगने वाला है, इसमें कड़ी मेहनत की दरकार होगी, और हमें न केवल जो हम कहते हैं उसमें, बल्कि हम साथ मिलकर जो करते हैं उसमें भी परिणाम देने की आवश्यकता है। मैं इसके लिए बहुत प्रतिबद्ध हूं। मैं आने वाले दिनों और हफ़्तों में ज्यां-इव के साथ मिलकर काम करूंगा, और मुझे विश्वास है कि हमारे साझा हित इतने महत्वपूर्ण हैं, हमारे साझा मूल्य इतने अटूट हैं, कि हम आगे बढ़ेंगे और कुछ अच्छा करेंगे। लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा और इसमें कुछ मेहनत लगेगी, और जैसा कि मैंने कहा, मैं इसे करने के लिए कृतसंकल्प हूं।
श्री प्राइस: धन्यवाद, विदेश मंत्री महोदय। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
विदेश मंत्री ब्लिंकन: आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद। न्यूयॉर्क का आनंद लीजिए।
मूल स्रोत: https://www.state.gov/secretary-antony-j-blinken-at-a-press-availability-7/.
अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।