अमेरिकी विदेश विभाग
प्रवक्ता का कार्यालय
13 सितंबर, 2021
टिप्पणी
2172, रेबर्न हाउस ऑफिस बिल्डिंग
वाशिंगटन, डी.सी.
विदेश मंत्री ब्लिंकेन: मिस्टर चेयरमैन, बहुत शुक्रिया. और मिस्टर चेयरमैन, रैंकिंग सदस्य मैक्कॉल, आज के लिए शुक्रिया. मैं इस मौके का स्वागत करता हूं कि अफगानिस्तान की हमारी नीति पर चर्चा हो, साथ ही हम कहां हैं, कैसे हैं (आवाज़ अस्पष्ट), और आने वाले हफ्तों और महीनों में हम किधर जाएंगे.
बीस सालों तक, कांग्रेस ने अफगानिस्तान के मिशन के लिए धन उपलब्ध कराया है और उस पर निगरानी रखी है. मैं सीनेटर बाइडेन के स्टाफ में बिताए अपने समय के आधार पर कह सकता हूं कि कांग्रेस कितनी महत्वपू्ण सहयोगी रही है. जैसा कि मैंने कहा था, जब मुझे नामित किया गया था, तब, कि मैं विदेश नीति के निर्माण में पार्टनर होने की कांग्रेस की पारंपरिक भूमिका पर भरोसा करता हूं. मैं आपके साथ अफगानिस्तान में आगे के रास्ते पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हूं ताकि अमेरिकी लोगों के हितों को आगे बढ़ाया जा सके.
9/11 की बीसवीं बरसी पर, जब हम उन करीब 3000 पुरुष, महिलाओं और बच्चों को याद कर रहे हैं जो इस घटना में मारे गए, हमें याद है कि हम पहली बार अफगानिस्तान क्यों गए थे: उन लोगों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए जिन्होंने हम पर हमला किया था और ये सुनिश्चित करने कि ऐसा दोबारा नहीं होगा. हमने बहुत पहले ये उद्देश्य पूरे कर लिए थे. ओसामा बिन लादेन एक दशक पहले 2011 में मारा गया. अल-कायदा की ताकत को बहुत हद तक कम कर दिया गया, चरमपंथी गतिविधियों को अंजाम देने की उसकी कूव्वत को भी. बीस साल बाद, 2,641 अमेरिकी जानें गंवाने, 20,000 घायलों, और दो ट्रिलियन डॉलर खर्च करने के बाद ये समय था कि अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म किया जाए.
जब राष्ट्रपति बाइडेन ने जनवरी में पद ग्रहण किया था, उनके सामने उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति का किया एक समझौता था जो तालिबान के साथ किया गया था कि हम इस साल एक मई तक अफगानिस्तान से अपनी सारी सेनाएं वापस बुला लेंगे. उस समझौते के तहत, पिछली सरकार ने अफगानिस्तान की सरकार पर दबाव डाला कि वो 5000 तालिबान कैदियों को रिहा करे- जिसमें कई शीर्ष युद्ध कमांडर भी शामिल थे. इस बीच हमारी सेनाओं की संख्या घट कर 2500 रह गई थी.
बदले में तालिबान सहमत हुआ कि वो अमेरिका और अमेरिका की सहयोगी सेनाओं पर हमले नहीं करेगा और अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों को नहीं धमकाएगा. लेकिन तालिबान ने रिमोट इलाकों, चेकपोस्टों, गांवों, जिलों और उन्हें जोड़ने वाले प्रमुख सड़कों पर अपना अभियान जारी रखा.
जनवरी 2021 में, तालिबान 9/11 के बाद की अपनी सबसे मजबूत सैन्य स्थिति में आ चुका था—और हमारे पास सबसे कम सैनिक थे 2001 के बाद.
इसका परिणाम ये हुआ कि, पद ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति बाइडेन के सामने यह चुनौती थी कि वो युद्ध को खत्म करें या इसे बढ़ाएं. अगर उन्होंने अपने पूर्ववर्ती सरकार के समझौते का पालन नहीं किया होता तो हमारी सेनाओं और सहयोगी सेनाओं पर हमले शुरू होते और अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों पर तालिबान का देशव्यापी अभियान भी होता. इसका मतलब था कि हमें खुद को बचाने और तालिबान का वर्चस्व रोकने के लिए और सेनाएं भेजनी पड़ती- जिसमें हमें नुकसान भी होता- और सबसे अच्छा परिणाम यही होता कि हम किसी तरह का युद्धविराम कर पाते और लंबे समय के लिए हमलों के बीच अफगानिस्तान में फंसे रहते.
इस बात का कोई सबूत नहीं है जो ये दर्शाए कि अफगानिस्तान में लंबे समय रूकने से अफगानिस्तान के सुरक्षा बल या अफगान सरकार की बेहतरी होती या वो खुद-मुख्तार हो जाते. अगर बीस साल और वर्षों तक अरबों डॉलर के सपोर्ट और ट्रेनिंग से ऐसा नहीं हो पाया तो एक और साल या पांच साल या दस साल से ऐसा कैसे संभव है?
दूसरी तरफ ये भी देखना चाहिए कि हमारे सामरिक प्रतद्वंदी चीन और रूस या फिर दुश्मन- ईरान और उत्तर कोरिया के लिए इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता था कि अमेरिका बीस साल से चल रहे युद्ध को जारी रखे और एक और दशक के लिए अफगानिस्तान में फंसा रहे.
राष्ट्रपति बाइडेन के फैसले से पहले, मैं संपर्क में था अपने सहयोगियों और पार्टनरों के साथ ताकि उनके विचार जान सकूं और उन्हें हम अपनी सोच में शामिल कर सकें. जब राष्ट्रपति ने सेनाओं की वापसी की घोषणा की तो नैटो ने तत्काल और सर्वसम्मति से इसे माना. हम सभी (आवाज अस्पष्ट)- इसमें एक साथ थे.
इसी तरह, हम अफगानिस्तान में अमेरिकियों की सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह फोकस्ड थे. मार्च में हमने अमेरिकी नागरिकों से देश छोड़ने की अपील करनी शुरु की. मार्च से अगस्त के बीच हमने कुल 19 बिल्कुल चिन्हित चेतावनी संदेश दिए हैं- साथ ही मदद का प्रस्ताव भी जिसमें विमान यात्रा के टिकट खरीदने जैसी वित्तीय मदद भी शामिल थी.
इन प्रयासों के बावजूद, जब लोगों का निकलना शुरु हुआ, उस समय अफगानिस्तान में हज़ारों की संख्या में अमेरिकी नागरिक थे, जिसमें से कई लोगों को 31 अगस्त तक सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. इनमें से कई दोहरी नागरिकता वाले लोग थे जो दशकों,पीढ़ियों से अफगानिस्तान में रह रहे थे. ये फैसला कर पाना कि उस जगह को छोड़ें या नहीं जिसे वो अपना घर मानते हैं बहुत ही दुखदायी फैसला होता है.
अप्रैल में हमने अपने दूतावास को संकुचित करना शुरु किया और जिन कर्मचारियों का वहां रहना ज़रूरी नहीं था उन्हें वापस लौटने के आदेश दिए.
इस समय में हमने उन अफगान लोगों के स्पेशल इमीग्रेंट वीसा (एसआईवी) प्रोसेस करने की गति को खासा तेज किया जो इन पिछले 20 सालों में हमारे लिए काम कर चुके थे. जब हमने दफ्तर संभाला तो हमारे पास एसआईवी के लिए एक कार्यक्रम था जिसके तहत कांग्रेस द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार 14 चरणों की प्रक्रिया मिली थी जिसमें कई सरकारी एजेंसियों के साथ काम किया जाना था- साथ ही 17000 से अधिक स्पेशल इमीग्रेंट वीसा का बैकलॉग भी था. मार्च 2020 के बाद नौ महीनों तक स्पेशल इमीग्रेंट वीसा के तहत काबुल में एक भी वीसा इंटरव्यू नहीं हुआ था. यह कार्यक्रम मूल रूप से बिल्कुल रूका पड़ा था.
हमारी सरकार बनने के सिर्फ दो हफ्तों के भीतर, हमने काबुल में स्पेशल इमीग्रेंट वीसा के इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू की. 4 फरवरी को, सबसे पहले जारी किए जाने एक्जिक्यूटिव आदेशों के तहत राष्ट्रपति बाइडेन ने निर्देश दिए कि स्पेशल इमीग्रेंट वीसा कार्यक्रम की तत्काल समीक्षा की जाए ताकि उसमें होने वाली देरी के कारणों को चिन्हित किया जा सके और उस प्रक्रिया को तेज़ करने के तरीके निकाले जा सकें.
इस बसंत में, मैंने इस कार्यक्रम के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए, वाशिंगटन में वीसा प्रोसेस करने वाले लोगों की संख्या को 10 से बढ़ाकर 50 किया और काबुल में स्पेशल इमीग्रेंट वीसा संबंधी अधिकारियों की संख्या को दुगुना किया. आदेश के अनुसार दूतावास के कई कर्मचारियों की अमेरिका वापसी के बाद भी हमने स्पेशल इमीग्रेंट वीसा एप्लीकेशन्स की प्रोसेसिंग के लिए ज्यादा अधिकारी काबुल भेजे.
इसके और ऐसे अन्य कदमों के परिणामस्वरूप, जिसमें कांग्रेस के साथ काम करना भी शामिल है, मई तक हम इस वीसा में लगने वाले औसत प्रोसेसिंग समय को एक साल से कम कर पाए. यहां तक कि जून के महीने में काबुल दूतावास में कोविड फैलने के बाद भी हमने वीसा देना जारी रखा. मार्च में जहां हम हर हफ्ते सौ स्पेशल इमीग्रेंट वीसा जारी कर रहे थे वो संख्या अगस्त के महीने तक हर हफ्ते में एक हज़ार तक पहुंची – जब हमने लोगों को वहां से हटाने का कार्यक्रम शुरू किया.
आपताकाल में लोगों को खाली कराए जाने की शुरूआत हुई अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों और सरकार के धराशायी होने के कारण. पूरे साल हम इस बात की समीक्षा करते रहे थे कि वो कितने समय तक मोर्चे पर रूक सकते हैं अलग अलग परिदृश्यों में. यहां तक कि सबसे नकारात्मक परिदृश्य में भी ये हम ये अनुमान नहीं लगा पाए थे कि काबुल में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी में ही अफगान सुरक्षा बल हथियार डाल देंगी. जैसा कि जनरल मिले, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन ने कहा है, “ न तो मुझे और न ही किसी और को ये अंदाज़ा था कि ये सेना और सरकार 11 दिनों में ही धराशायी हो जाएगी.”
इसके बावजूद हमने योजना बनाई और मुश्किल कामों को अंजाम दिया. इस योजना के कारण ही हम अपने दूतावास को बंद करने और अपने बाकी कर्मचारियों को मात्र 48 घंटे में एयरपोर्ट तक लाने में कामयाब हो सके. साथ ही राष्ट्रपति बाइडेन ने सेना को तैयार रहने को कहा था- सेना जिसने एयरपोर्ट की सुरक्षा सुनिश्चित की और 72 घंटों में हम लोगों को वहां से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर पाए.
लोगों को निकालना ही अपने आप में एक अभूतपूर्व प्रयास था- हमारे कूटनीतिज्ञों, सेना और गुप्तचर अधिकारियों द्वारा- ऐसी कठिन परिस्थिति में. इन सभी लोगों ने चौबीस घंटे काम किया ताकि अमेरिकी नागरिक और वो अफगान नागरिक सुरक्षित हो सकें जिन्होंने हमारी मदद की है. हमारे सहयोगी देशों और पार्टनरों के नागरिक और वो अफगान नागरिक जिन्हें खतरा है उन्हें विमानों तक लाया जाए और अमेरिका या ऐसे किसी ट्रांजिट लोकेशन पर पहुंचाया जिसकी व्यवस्था हमारे कूटनीतिज्ञों ने की जिसके तहत कई देशों से बातचीत करना शामिल था. हमारे काउंसलर टीम ने चौबीस घंटे काम करते हुए उन अमेरिकियों तक पहुंचने की कोशिश की जो उस समय भी अफगानिस्तान में फंसे हो सकते थे. इस टीम ने उन दो हफ्तों में 55000 से अधिक फोन कॉल किए, 33000 ईमेल किए और वो आज भी इस काम में लगे हुए हैं. इस अभूतपूर्व प्रयास के बीच आइसिस-के का हमला हुआ जिसमें हमारे 13 सुरक्षाकर्मी मारे गए काबुल हवाई अड्डे के गेट पर, बीस अन्य घायल हुए और कई अफगान नागरिक मारे गए. अमेरिका के लिए काम करने वाले इन सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान दी ताकि दूसरे लोग जिंदा रह सकें.
अंत में हमने इतिहास के सबसे बड़े एयरलिफ्ट में से एक को अंजाम देते हुए 1,24,000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला.
31 अगस्त को काबुल में, अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन का औपचारिक अंत हो गया और एक नया कूटनीतिक मिशन शुरू हुआ.
मैं उन दो दर्जन से अधिक देशों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा जिन्होंने इस काम में हमारी मदद की- कुछ देशों ने ट्रांजिट हब बन कर मदद की, कुछ ने देश छोड़ कर निकले अफगानी लोगों को लंबे समय तक अपने यहां रखा.
और मैं कांग्रेस के अभूतपूर्व प्रयास की भी सराहना करना चाहूंगा. कुछ उदाहरण देता हूं: सांसद फिट्जपैट्रिक ने विदेश विभाग के साथ काम करते हुए न्यू जर्सी में एक अफगान परिवार को बिछड़े परिजनों से मिलाया. सांसद कीटिंग ने हमारे लोगों के साथ मिलकर ज़मीन पर मौजूद वॉयस ऑफ अमेरिका की रिपोर्टर और उसके परिवार को सुरक्षित एयरपोर्ट पहुंचने में मदद की. सांसद जैकब्स और सांसद इसा ने पार्टी लाइन से इतर काम करते हुए खतरे में आ चुके कानूनी स्थायी निवासियों और अफगानों की तरफ हमारा ध्यान खींचा. आप जान लें कि आपके ईमेल, आपके फोन कॉल्स ने बहुत बड़ी मदद की है कि हम लोगों को बाहर ला पाए हैं और हम अपने मिशन के अगले दौर में उन सभी सूचियों और सूचनाओं का इस्तेमाल करेंगे जो आपने मुहैया कराई हैं.
अब मैं संक्षेप में बताना चाहूंगा कि विदेश मंत्रालय ने पिछले दो हफ्तों मे क्या किया और हम आगे आने वाले दिनों और हफ्तों में क्या करने जा रहे हैं.
पहले तो हमने अपने कूटनीतिक अभियान को काबुल से दोहा शिफ्ट कर दिया है जहां हमारी नई अफगान टीम काम कर रही है. वहां हमारे कई प्रमुख साझीदार हमारे साथ काम कर रहे हैं.
दूसरा, हमने अपने प्रयासों में कोई ढिलाई नहीं की है जिससे अफगानिस्तान में रह गए अमेरिकियों की मदद हो सके, साथ ही अफगानों और हमारे सहयोगी देशों के नागरिकों की भी जो देश छोड़ना चाहें तो छोड़ सकें.
पिछले गुरूवार को, कतर एयरवेज़ का एक चार्टर विमान अमेरिकी नागरिकों और अन्य लोगों को लेकर काबुल से निकला और दोहा पहुंचा है. शुक्रवार को एक दूसरा विमान अमेरिकी नागरिकों को लेकर काबुल से रवाना हुआ है. ये विमान उन प्रयासों का नतीज़ा हैं जो अमेरिका, कतर और तुर्की ने मिलकर किए हैं जिससे कि एयरपोर्ट दोबारा खुला है और कूटनीति के तहत विमान सेवाएं शुरू हुई हैं.
इन विमानों के साथ ही, आधा दर्जन अमेरिकी नागरिक और एक दर्जन के करीब अमेरिका के स्थायी नागरिकों ने भी अफगानिस्तान छोड़ा है सड़क मार्ग से जिसमें हमने मदद की है.
हम लगातार उन अमेरिकी नागरिकों से अफगानिस्तान में संपर्क में हैं जिन्होंने इच्छा जताई है कि वो देश छोड़ना चाहते हैं. हर व्यक्ति के लिए एक केस मैनेजमेंट टीम है जो उन्हें उचित सलाह और निर्देश दे रही है. कुछ लोगों ने गुरूवार और शुक्रवार को आए पहले विमानों को छोड़ दिया क्योंकि उन्हें तैयारी करने के लिए और समय चाहिए था या फिर वो अपने बड़े परिवार के साथ थोड़ा समय बिताना चाहते थे या फिर उन्हें मेडिकल समस्याए थीं.
हम उनकी मदद करना जारी रखेंगे और उन सभी अमेरिकियों की जो अभी भी वहां से आना चाहते हैं, और उन अफगानों को भी जिनसे हमारा विशेष वादा है- जैसा कि हमने दूसरे देशों मे किया है जब हमने वहां से अपने दूतावास खाली किए हैं और सैकड़ों या कभी कभी हज़ारों अमेरिकी वहां रह गए हैं- जैसे कि उदाहरण के लिए लीबिया में, सीरिया में, वेनेजुएला में, यमन में और सोमालिया में हुआ है. इस मिशन की कोई अंतिम तारीख नहीं है.
तीसरा हम आतंकवाद को रोकने को लेकर पूरी तरह फोकस्ड हैं.
तालिबान ने प्रतिबद्धता जताई है कि वो अल कायदा और आइसिस-के समेत किसी भी आतंकवादी संगठन को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करने नहीं देगा जिससे वो वहां रह कर अमेरिका या हमारे सहयोगी देशों के खिलाफ कोई अभियान चला सकें. हम इसके लिए तालिबान को जिम्मेदार मानेंगे. इसका ये मतलब नहीं है कि हम उन पर ही आश्रित होंगे. हम खतरों के प्रति सतर्क और सचेत रहेंगे. हम इस क्षेत्र में आतंकवाद को रोकने के लिए अपनी क्षमताओं के अनुरूप काम करते रहेंगे और ज़रूरत पड़ी तो कार्रवाई भी करेंगे- और हम ऐसा करते रहे हैं पूरी दुनिया में जहां जमीन पर हमारी सेनाएं नहीं हैं.
चौथा, हम अपने सहयोगियों और पार्टनरों के साथ कूटनीतिक प्रयास भी जारी रखेंगे. हमने दुनिया के आधे से अधिक देशों- सौ से अधिक, के साथ मिलकर एक बयान शुरू किया है- जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव भी है जिसमें कि तालिबान के नेतृत्व से बनने वाली सरकार से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाएं चिन्हित की गई हैं. हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान यात्रा की आज़ादी देगा; आतंकवाद रोकने की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करेगा;अफगानी लोगों के मूल अधिकार का सम्मान करेगा, जिसमें महिलाएं, लड़कियां और अल्पसंख्यक शामिल हैं; ऐसी स्थायी सरकार बनाएगा जिसमें सबका प्रतिनिधित्व हो;बदले की कार्रवाई नहीं करेगा. तालिबान के शासन की वैधता और उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन इन सभी बातों पर ही निर्भर करेगा.
हमने कुछ प्रमुख देशों के साथ मिलकर समूह बनाए हैं जो यह सुनिश्चित करेगा कि हम अफगानिस्तान के मामले में एक सुर में बात करें और सामूहिक रूप से प्रभाव का इस्तेमाल करें.
पिछले हफ्ते, मैंने 22 देशों की एक मंत्रिस्तरीय टीम की अगुआई की जिसमें नैटो, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र शामिल थे.
और पांचवां, हम अफगानिस्ता के लोगों के लिए मानवीय सहायता देना जारी रखेंगे. इस प्रतिबंध के साथ कि, ये सहायता सरकार के ज़रिए नहीं दी जाएगी बल्कि स्वतंत्र संगठनों मसलन स्वयंसेवी संगठनों या संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के जरिए मिलेगी.
आज ही, हमने घोषणा की है कि अमेरिका आने वाले समय में अफगानिस्तान के लोगों के लिए नई मानवीय सहायता के तहत 64 मिलियन डॉलर की मदद देगा जिससे स्वास्थ्य और न्यूट्रीशन संबंधी ज़रूरतें पूरी की जाएंगी. साथ ही इस मदद के तहत महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं को ठीक करने, बच्चों को स्कूल भेजने की कोशिश जैसे काम शामिल होंगे. इस अतिरिक्त फंडिंग का मतलब है कि अमेरिका ने इस वित्तीय वर्ष में अफगानिस्तान को करीब 330 मिलियन डॉलर की मदद की है.
दोहा और रामस्टीन में, मैंने उन जगहों का दौरा किया जहां अफगानिस्तान से निकाले गए अफगान लोगों के लिए कागजी कार्रवाई पूरी हो रही थी ताकि वो अपने निर्धारित जगहों को रवाना हो सकें. यहां अमेरिका में मैंने थोड़ा समय डलस एक्सपो सेंटर में बिताया जहां 45000 अफगान पहुंचे हैं. यह देखना अद्भुत है कि हमारे कूटनीतिज्ञों, हमारी सेना और हमारे अन्य विभागों के कर्मचारियों ने कितना बड़ा काम किया है. सरकार ने बहुत कम समय में ये लक्ष्य पूरा किया है.
एक बड़ी मानवीय ज़रूरत को इन लोगों ने पूरा किया है. इन लोगों ने हज़ारों लोगों के लिए भोजन, पानी, सफाई की व्यवस्था की है. इन्होंने मेडिकल केयर के साथ बच्चे पैदा करवाने के काम में मदद की है. वो परिवारों को एक कर रहे हैं जो कि बिछड़ गए थे और उन छोटे बच्चों की देखभाल भी जिनके साथ कोई नहीं है. यह एक बहुत बड़ा प्रयास है जिसमें कई एजेंसियां शामिल हैं और यह सबूत है कि हमारे लोगों की दक्षता, भावनाओं और प्रतिबद्धता का.
हम सभी को इस बात पर गर्व होना चाहिए जो हम कर रहे हैं. और जो हमने इतिहास में हमेशा किया है. अमेरिकी लोग अब अफगानिस्तान के परिवारों का स्वागत कर रहे हैं अपने समुदायों में और उनकी मदद कर रहे हैं कि वो यहां नया जीवन शुरू कर सकें. इस पर गर्व किया जाना चाहिए.
बहुत बहुत शुक्रिया सुनने के लिए. और इसके साथ ही मिस्टर चेयरमैन, रैंकिंग मेंबर मैक्कॉल, मैं आपके सवालों का इंतज़ार करूंगा. थैंक्यू.
अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।